होम देश अर्थजगत चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आयात निर्भरता कम करने की जरूरत : सचिव

चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आयात निर्भरता कम करने की जरूरत : सचिव

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) औषधि विभाग के सचिव अरुणीश चावला ने मंगलवार को कहा कि सरकार और उद्योग को अगले पांच साल में चिकित्सकीय उपकरण क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को 50 प्रतिशत से कम करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश में उत्पादित 2,000 से अधिक चिकित्सकीय उपकरणों के लिए मानक तैयार करने की प्रक्रिया में है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

चावला ने उद्योग क्षेत्र के लिए बेहतर नीतियां तैयार करने के लिए आयोजित उद्योग के एक समारोह से इतर पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘ फिलहाल हमारा चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी क्षेत्र 75-80 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। हम अगले पांच वर्षों में इस आयात निर्भरता को 50 प्रतिशत से भी कम करना चाहते हैं।’’

चावला ने बताया कि ‘मेडिटेक स्टैकथॉन 2024’ के दौरान चिकित्सकीय उपकरणों के निर्यात को देश में ऐसे उत्पादों के आयात के स्तर के बराबर करने के लिए विचार-विमर्श भी किया गया।

साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय उपकरणों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने इस क्षेत्र की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

चावला ने कहा, ‘‘ करीब 150 चिकित्सकीय उपकरण, जो पहले आयात किए जाते थे अब देश में बन रहे हैं… यहां तक ​​कि अब ऐसे उत्पादों का निर्यात भी शुरू हो गया है।’’

भारत का चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी उद्योग 2030 तक 14 अरब अमेरिकी डॉलर के मौजूदा स्तर से बढ़कर 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। भारत वर्तमान में एशिया में चिकित्सकीय उपकरणों का चौथा सबसे बड़ा बाजार है और वैश्विक स्तर पर शीर्ष 20 में शामिल है।

वित्त वर्ष 2022-23 में शुद्ध आयात 410.1 करोड़ डॉलर रहा।

औषधि विभाग ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से ‘मेडिटेक स्टैकथॉन 2024’ का आयोजन किया।

भाषा निहारिका अजय

अजय

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