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ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान किसान बहुल पश्चिमी क्षेत्र पर रहेगा ध्यान

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

भुवनेश्वर, 17 मार्च (भाषा) ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद अब ध्यान पश्चिमी क्षेत्र के किसानों पर केंद्रित हो गया है, जिनके वोट कम से कम पांच संसदीय और 35 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं।

ओडिशा में 21 लोकसभा और 147 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, राज्य में चार चरणों – 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून – में मतदान होगा।

कभी कांग्रेस का गढ़ रहे पश्चिमी क्षेत्र के किसानों ने ऐतिहासिक तौर पर सामूहिक रूप से मतदान करके काफी चुनावी प्रभाव डाला है।

वर्ष 2019 के आम चुनावों में पश्चिमी ओडिशा की सभी पांच लोकसभा सीट संबलपुर, बारगढ़, बोलांगीर, कालाहांडी और सुंदरगढ़ पर भाजपा ने जीत हासिल की थी जबकि नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ बीजद एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

भाजपा ने ओडिशा में कुल आठ सीट जीतीं थी, जिनमें बालासोर, मयूरभंज और भुवनेश्वर सीट भी शामिल थी।

हालांकि, लोकसभा चुनाव में भाजपा की सफलता के बावजूद, क्षेत्र के लोगों ने विधानसभा चुनावों में मुख्य रूप से नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) का समर्थन किया था।

पश्चिमी ओडिशा की पांच लोकसभा सीटों के 35 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा को केवल आठ सीट पर जीत मिली थी जबकि अधिकांश सीट बीजद के खाते में गई थीं। कांग्रेस ने तीन विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी।

भाषा जोहेब शफीक

शफीक

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