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सोने से तीन घंटे पहले रोशनी कम करने से गर्भकालीन मधुमेह का खतरा कम किया जा सकता है: अध्ययन

नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) वैज्ञानिकों ने गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) के खतरे को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को सोने से कुछ घंटे पहले अपने घरों में रोशनी बंद करने या कम करने की सलाह दी है।

अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय में नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार गर्भवती महिलाओं को सोने से पहले अपनी स्क्रीन (कंप्यूटर मॉनिटर और स्मार्टफोन) को भी बंद कर देना चाहिए।

अध्ययन के अनुसार जिन महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह हो गया था, उन्हें सोने से पहले तीन घंटे तक अधिक रोशनी के संपर्क में रखा गया था।

‘नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ मिनजी किम ने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन से पता चलता है कि सोने से पहले अधिक रोशनी में रहना गर्भावस्था के मधुमेह का एक कारण हो सकता है।’’

साक्ष्यों से पता चलता है कि सोने से पहले रात में रोशनी के संपर्क में आना गैर-गर्भवती वयस्कों में ग्लूकोज के खराब स्तर से जुड़ा हो सकता है। आपके घर में तेज रोशनी और टीवी, कंप्यूटर और स्मार्टफोन जैसे उपकरणों से रोशनी का दुष्प्रभाव हो सकता है।

यह अध्ययन ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी मैटरनल फीटल मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है।

किम ने कहा, ‘‘यह खतरनाक स्थिति है। गर्भकालीन मधुमेह से प्रसूति संबंधी जटिलताएं बढ़ती है, और मां को मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग खतरा हो सकता है।’’

उन्होंने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि जिन महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह है उनमें गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज की समस्या नहीं होने की तुलना में ‘टाइप 2’ मधुमेह विकसित होने की आशंका लगभग 10 गुना अधिक है।

किम ने कहा कि सोने से पहले कई घंटों के लिए रोशनी कम होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सोने से पहले अधिक रोशनी के संपर्क में आने से हृदय गति बढ़ जाती है और इससे मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध, रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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