नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की अपील पर पत्रकार प्रिया रमानी से बुधवार को जवाब मांगा. अकबर ने यौन शोषण के आरोपों को लेकर दायर आपराधिक मानहानि मामले में रमानी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अपील पर रमानी को नोटिस जारी किया और इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की.
अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं-राजीव नायर और गीता लूथरा ने दलील दी कि निचली अदालत ने गलत तरीके से रमानी को बरी किया जबकि उसने यह निष्कर्ष दिया था कि उनके आरोप मानहानिकारक थे.
लूथरा ने कहा कि निचली अदालत ने सुनवाई के दौरान उठाई गईं आपत्तियों पर विचार किए बिना फैसला दिया.
अकबर ने निचली अदालत के 17 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है जिसमें रमानी को इस आधार पर बरी कर दिया गया था कि किसी महिला को दशकों बाद भी अपनी पसंद के किसी भी मंच के सामने शिकायत रखने का अधिकार है.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
निचली अदालत ने अकबर द्वारा दायर शिकायत को खारिज करते हुए कहा था कि रमानी के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ.
गौरतलब है कि ‘मीटू’ अभियान के तहत 2018 में रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि यह घटना करीब 20 साल पहले की है जब अकबर पत्रकार थे और वह उनके मातहत काम करती थीं.
अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को रमानी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
यह भी पढ़ें: #Metoo मामला- प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि को लेकर फैसला 17 को