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मास्क पहने बिना चुनाव प्रचार करने पर रोक की मांग वाली याचिका पर दिल्ली HC ने केंद्र, EC से मांगा जवाब

असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी में अलग-अलग चरणों में 27 मार्च से लेकर 29 अप्रैल के बीच चुनाव होने हैं.

बंगाल में भाजपा की एक रैली का दृष्य | प्रतीकात्मक तस्वीर | ट्विटर

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर निर्वाचन आयोग द्वारा जारी अनिवार्य दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों तथा प्रचारकों को प्रचार करने से रोकने का अनुरोध किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की एक पीठ ने केन्द्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं.

पीठ ने सुनवाई के मामले को 30 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया है.

चुनाव आयोग की ओर से अदालत में पेश हुए वकील सिद्धांत कुमार ने याचिका की सुनवाई यहां होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि ना ही दिल्ली में चुनाव हो रहे हैं और ना ही कथित उल्लंघन यहां हुआ है.

वहीं, केन्द्र की ओर से वकील अनुराग अहलूवालिया अदालत में पेश हुए.

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असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी में अलग-अलग चरणों में 27 मार्च से लेकर 29 अप्रैल के बीच चुनाव होने हैं.

याचिकाकर्ता डॉक्टर विक्रम सिंह के वकील विराग गुप्त ने कहा कि चुनाव की घोषणा करते हुए निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि ‘चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों के दौरान सभी लोगों का मास्क पहनना’ अनिवार्य है.

वकील गौरव पाठक की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां प्रचारक और उनके समर्थकों ने चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान मास्क नहीं पहने, ऐसी तस्वीरों और वीडियो से इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया भरा हुआ है और कई मौकों पर इन्हें खुद प्रचाराकों ने ही साझा किया है.

याचिका में कहा गया कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन का मौलिक अधिकार प्राप्त है, जो राजनेता, प्रचारक और उम्मीदवारों के चुनाव प्रक्रिया के दौरान मास्क नहीं पहनने से प्रभावित हो रहा है.


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