होम देश दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित अभिनेता सौमित्र चटर्जी का निधन

दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित अभिनेता सौमित्र चटर्जी का निधन

सत्यजीत रे की फिल्म से फिल्मों में शुरुआत करने वाले दिग्गज अभिनेता को कोविड पॉजिटिव होने के बाद 6 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी.

सौमित्र चटर्जी | ट्विटर

नई दिल्ली: मशहूर अभिनेता सौमित्र चटर्जी का 85 वर्ष की उम्र में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में निधन हो गया. 12:15 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और कोलकाता पुलिस के कमिश्नर अस्पताल पहुंचे हैं. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी वहां पहुंचने वाली हैं.

सत्यजीत रे की फिल्म से फिल्मों में शुरुआत करने वाले दिग्गज अभिनेता को कोविड पॉजिटिव होने के बाद 6 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी.

उनका संक्रमण ठीक हो गया था लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ क्योंकि वह तंत्रिका तंत्र संबंधी जटिलताओं समेत कई अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे।

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अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘हम बेहद भारी मन से यह घोषणा कर रहे हैं कि श्री सौमित्र चट्टोपाध्याय ने बेल व्यू क्लीनिक में आज (15 नवंबर 2020) को 12 बजकर 15 मिनट पर आखिरी सांस ली. हम उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.’

ममता बनर्जी ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय, भारतीय और बंगाली सिनेमा ने एक बड़ी शख्सियत खो दी. हम उन्हें याद करेंगे. बंगाली फिल्म जगत आज अनाथ हो गया.’

बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी ने ट्वीट कर कहा, ‘काफी बड़ा नुकसान. भारतीय सिनेमा के लिए आपके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और आने वाले लोगों को प्रेरित करेगा.’

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी ट्वीट करने उनके सत्यजीत रे की फिल्म में चटर्जी के ‘अपू’ के किरदार को याद किया.

सौमित्र चटर्जी का जन्म 1935 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था.

ऑस्कर विजेता फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के साथ सौमित्र चटर्जी ने 14 फिल्में की थी. उन्होंने सत्यजीत रे की अपूर संसार से अपने कैरियर की शुरुआत की. उसके बाद वो रे की अभिजन, चारुलता, घरे बाइरे फिल्मों में भी दिखे.

2012 में चटर्जी को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.

चटर्जी को दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला जिसमें एक बार अभिनेता के लिए और दूसरी बार बंगाली थियेटर के लिए.

1998 में उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. 2004 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण भी दिया.


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