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दाड़न खाप ने कहा दिल्ली बॉर्डर पर अब हर गांव से आएंगे लोग, किसान संगठन बोला- आंदोलन समाधान नहीं

सर्वजातीय दाड़न खाप चबूतरा पालवां में हुई बैठक में फैसला किया है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हर गांव से लोगों को भेजा जाएगा.

पंजाब और हरियाणा के किसान राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में घोषित किया गया/मनीषा मोंडल/ दिप्रिंट

जींद/नई दिल्ली: गुरुवार रात किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन छोड़ कर गए किसानों को वापसी का रास्ता दिखा दिया है. सर्वजातीय दाड़न खाप चबूतरा पालवां की शुक्रवार को हुई बैठक में फैसला किया गया कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हर गांव से लोगों को भेजा जाएगा.

खाप के प्रधान दलबीर खेड़ी मंसानिया की अध्यक्षता में खाप के चबूतरे पर हुई बैठक में गणतंत्र दिवस पर लालकिला परिसर में हुई घटना की जांच उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराए जाने की मांग की गई.

बैठक में किसानों पर दर्ज मामलों को रद्द करने और दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़े गए ट्रैक्टरों को छोडऩे की मांग भी की गई. इस दौरान वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करना चाहती है.

खाप से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बैठक में फैसला किया गया कि खाप हर गांव से लोगों को दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में भेजेगी.उन्होंने कहा कि बैठक में फैसला किया गया कि हर गांव के हर परिवार से एक सदस्य इस आंदोलन में हिस्सा लेगा.

बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत की सराहना की गई. खाप महासचिव आजाद पालवां ने कहा कि युवाओं को चाहिए कि वे आंदोलन में संयम बरतें क्योंकि यह लड़ाई संयम और अनुशासन से लडऩी है.

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इस दौरान खाप प्रधान मंसानिया ने कहा कि किसान शांतिपूर्ण ढंग से अपने हक की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं और सभी लोग किसान नेता राकेश टिकैत के साथ हैं.

वहीं, करसिंधु गांव में हुई एक बैठक में लोगों ने अधिक से अधिक ट्रैक्टर लेकर दिल्ली बॉर्डर पहुंचने का फैसला किया. उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड में क्षेत्र से सर्वाधिक ट्रैक्टर कर सिंधु गांव से गए थे.

इसके साथ ही उचाना कलां गांव में भी ग्रामीणों की बैठक हुई जिसमें हर परिवार से एक व्यक्ति की भागीदारी किसान आंदोलन में सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया.

वहीं, काकड़ोद गांव में हुई पंचायत में भी किसान आंदोलन को मजबूती देने का फैसला किया गया. इसके साथ ही 30 जनवरी को जिले की खाप-पंचायतों की बैठक बुलाई गई है.


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किसान संगठन ने कहा आंदोलन समाधान नहीं

वहीं तमिलनाडु के एक किसान संगठन ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी में बड़े पैमाने पर हो रहा आंदोलन इसका समाधान नहीं है .

किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) वेलनगिरी उजावन ने कहा कि इसके बजाय किसानों को एक संगठन बनाना चाहिए और अपनी उपज की कीमत खुद तय करनी चाहिए.

वेलनगिरी के अध्यक्ष उजवान कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि किसान एफपीओ बना सकते हैं और मूल्य तय कर सकते हैं ताकि उन्हें अपनी उपज का विपणन करने के लिए बिचौलियों, मंडियों, व्यापारियों या सरकार पर निर्भर रहने की जरूरत न पड़े .

उन्होंने कहा, ईशा आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से 2013 में स्थापित एफपीओ का पहले साल में 40,000 रुपये का कारोबार हुआ था, जो पिछले वित्त वर्ष में 11 करोड़ रुपये था और इस वित्त वर्ष में 12.5 करोड़ रुपये को पार करने की उम्मीद थी.

तीन कृषि कानूनों के बारे में उन्होंने कहा कि पहले भी प्रतिबंधों से एफपीओ पर कोई असर नहीं पड़ा है और नए कानूनों से रैयतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कीमतों और बाजारों पर किसानों ने खुद फैसला लिया था .


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