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‘बिपरजॉय’ गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले रहा, अगले 24 घंटे में बदलेगा मौसम

आईएमडी ने कहा कि चक्रवात अगले 24 घंटों के दौरान धीरे-धीरे और तेज होगा और लगभग अगले 3 दिनों के दौरान उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ जाएगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर | ट्विटर

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार को कहा कि चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ अगले 12 घंटों में पूर्व-मध्य और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा.

“गंभीर चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ पूर्व-मध्य और आस-पास के दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर पिछले 6 घंटों के दौरान 5 किमी प्रति घंटे की गति के साथ लगभग उत्तर की ओर बढ़ा, और वह एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया और 11.30 पर केंद्रित हो गया.

आईएमडी ने एक ट्वीट में कहा, “यह भयंकर चक्रवाती तूफान अभी गोवा से लगभग 870 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में, मुंबई से 930 किमी दक्षिण पश्चिम में, पोरबंदर से 1050 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में और कराची से 1350 किमी दक्षिण में है.”

 

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आईएमडी ने कहा कि चक्रवात अगले 24 घंटों के दौरान धीरे-धीरे और तेज होगा और लगभग अगले 3 दिनों के दौरान उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ जाएगा.

आईएमडी ने मंगलवार को बताया था कि, दक्षिणपूर्व अरब सागर के ऊपर बना गहरे दबाव का क्षेत्र चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ में तब्दील हो गया.

‘बिपरजॉय’ नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया है.

आईएमडी ने एक बुलेटिन में कहा, ‘‘दक्षिण-पूर्व और आसपास के पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर बना गहरे दबाव का क्षेत्र चार किलोमीटर प्रतिघंटे की गति के साथ लगभग उत्तर की ओर बढ़ा और एक चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ में तब्दील हो गया. शाम साढ़े पांच बजे यह गोवा से लगभग 920 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम, मुंबई से 1050 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम, पोरबंदर से 1130 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम और कराची से 1430 किलोमीटर दक्षिण में स्थित था.’’

इसके लगभग उत्तर की ओर बढ़ने और धीरे-धीरे एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है.

इस दौरान केरल-कर्नाटक तटों और लक्षद्वीप-मालदीव इलाकों में छह जून और कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर आठ से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है. समुद्र में उतरे मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गयी है.

आईएमडी ने सोमवार को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और इसके गहरा होने से मानसून का केरल तट की ओर आगमन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है.

हालांकि, मौसम विभाग ने केरल में मानसून के आगमन की संभावित तारीख नहीं बताई.

निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर’ ने बताया कि केरल में मानसून आठ या नौ जून को दस्तक दे सकता है लेकिन इस दौरान हल्की बारिश की ही संभावना है.

उसने कहा, ‘‘अरब सागर में मौसम की ये शक्तिशाली प्रणालियां अंदरुनी क्षेत्रों में मानसून के आगमन को प्रभावित करती हैं. इसके प्रभाव में मानसून तटीय हिस्सों में पहुंच सकता है लेकिन पश्चिम घाटों से आगे जाने में उसे संघर्ष करना पड़ेगा.’’

स्काईमेट ने पहले मानसून के 7 जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान जताया था और यह तीन दिन पहले या बाद में हो सकता है.

स्काईमेट ने कहा था, ‘‘दक्षिण-पश्चिम मानसून के इस समयावधि के भीतर आने की संभावना है. मानसून की शुरुआत तब मानी जाती है जब लक्षद्वीप, केरल और तटीय कर्नाटक में लगातार दो दिनों में निर्धारित वर्षा होती है. तदनुसार, वर्षा का प्रसार और तीव्रता 8 जून या 9 जून को इन आवश्यकताओं से मेल खा सकती है. हालांकि, मानसून की शुरुआत जोरदार तरीके से नहीं हो सकती है.’’

आईएमडी में वरिष्ठ वैज्ञानिक डी एस पई ने बताया कि केरल में सोमवार को भी अच्छी बारिश हुई और स्थितियां अगले दो से तीन दिन में मानसून के आगमन के लिए अनुकूल हैं.

पई ने कहा कि चक्रवाती तूफान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दाब के कारण दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश होगी. उन्होंने कहा कि चक्रवात के कमजोर होने के बाद मानसून दक्षिणी प्रायद्वीप से आगे बढ़ेगा.

दक्षिण-पश्चिम मानसून आम तौर पर एक जून को केरल में प्रवेश करता है जिसमें सात दिन आगे या पीछे हो सकता है. मई के मध्य में, आईएमडी ने कहा था कि मानसून चार जून तक केरल में दस्तक दे सकता है.

दक्षिण-पूर्वी मानसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था. आईएमडी ने पूर्व में कहा था कि अल नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.


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