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तेलतुंबडे की जमानत के खिलाफ एनआईए की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा न्यायालय

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आनंद तेलतुंबडे को दी गई जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील का संज्ञान लिया कि जमानत से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन पर रोक सिर्फ एक हफ्ते के लिए है, लिहाजा मामले में तत्काल सुनवाई किए जाने की जरूरत है।

सॉलिसिटर जनरल ने शुरुआत में कहा कि एनआईए ने अपील दाखिल की है और याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।

पीठ में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘‘इस पर दोपहर 12:45 बजे (आज) सुनवाई करते हैं।’’ इस पर मेहता ने कहा, ‘‘मेरे सहयोगी दलील देंगे जो आज उपस्थित नहीं हैं। कृपया इस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई कीजिए।’’

तब न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “हम इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे।”

तेलतुंबडे की ओर से वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि वह कैवियेट पर पक्ष रख रही हैं और उन्हें एनआईए की याचिका की प्रति दी जाए। कैवियेट याचिका दायर करके अनुरोध किया जाता है कि अदालत बिना पक्ष सुने फैसला नहीं सुनाए।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आरोपियों के वकील को प्रति मुहैया कराई जाएगी।

बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में तेलतुंबडे को जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि तेलतुंबडे प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (भाकपा-माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे और किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल थे।

73 वर्षीय तेलतुंबडे एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कुल 16 आरोपियों में से तीसरे ऐसे आरोपी हैं, जिन्हें जमानत मिली है।

कवि वरवर राव अभी स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर जेल से बाहर हैं, जबकि अधिवक्ता सुधा भारद्वाज को नियमित जमानत दी जा चुकी है।

बंबई उच्च न्यायालय ने हालांकि, तेलतुंबडे को जमानत पर रिहा करने के आदेश के कार्यान्वयन पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा रखी है, ताकि मामले की जांच कर रही एनआईए उच्चतम न्यायालय का रुख कर सके। तेलतुंबडे तब तक जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि तेलतुंबडे के खिलाफ एकमात्र मामला एक आतंकवादी समूह के साथ कथित जुड़ाव और उसे दिए गए समर्थन से संबंधित है, जिसके लिए अधिकतम सजा 10 साल की जेल है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि तेलतुंबडे दो साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं।

एनआईए द्वारा जमा किये गये दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस बात को दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि तेलतुंबडे भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सीधे तौर पर जुड़े थे।

तेलतुंबडे अप्रैल 2020 में मामले में अपनी गिरफ्तारी के बाद से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उच्च न्यायालय ने उन्हें एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी।

पिछले साल एक विशेष अदालत ने तेलतुंबडे को जमानत देने से मना कर दिया था जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

उन्होंने दावा किया था कि वह पुणे शहर में 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कभी शामिल नहीं हुए थे और ना ही उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण दिया।

भाषा वैभव नरेश

नरेश

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