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न्यायालय ने सहारा समूह से संबंधित नौ कंपनियों की एसएफआईओ जांच पर रोक लगाने का आदेश रद्द किया

नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह से संबंधित नौ कंपनियों की ‘सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस’ (एसएफआईओ) जांच पर रोक लगाने का दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एसएफआईओ की अपील को मंजूरी दे दी।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला मामले में जांच पर रोक लगाने के लिए ‘‘उचित नहीं’’ था।

वैधानिक कॉरपोरेट धोखाधड़ी जांच एजेंसी एसएफआईओ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में अपील दायर की थी। उच्च न्यायालय ने सहारा समूह के प्रमुख और अन्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई और लुकआउट नोटिस समेत सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी थी।

उच्च न्यायालय ने सहारा समूह से संबंधित नौ कंपनियों की जांच के लिए एसएफआईओ के दो आदेशों के क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी थी।

उच्च्तम न्यायालय 17 मई को, उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एसएफआईओ की अपील को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के संबंध में विचार के वास्ते सहमत हो गया था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तब उच्चतम न्यायालय को बताया था कि एक अन्य पीठ के सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ लुकआउट सुर्कलर पर हाल में रोक लगाने के संबंध में याचिकाकर्ता (एसएफआईओ) की ओर से कुछ आपत्तियां हैं।

एसएफआईओ ने अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने वाली याचिका में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता एसएफआईओ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतिम फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी एक से लेकर तीन को मनमाने तरीके से अंतरिम राहत देते हुए केंद्र सरकार के 31 अक्टूबर 2018 और 27 अक्टूबर 2020 के जांच आदेश के क्रियान्वयन रोक लगा दी थी और प्रतिवादियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाइयों और लुकआउट नोटिसों समेत सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी थी।’’

उसने कहा था कि कार्यवाही रोक दी गयी है, जिससे मौजूदा जांच पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ा है।

भाषा

गोला मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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