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मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह कोर्ट की अवमानना के दोषी, आदेश के खिलाफ बेचे कंपनी के शेयर

अदालत का कहना है कि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड में अपने शेयर नहीं बेचने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया.

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रैनबैक्सी, फोर्टिस और रेलीगेयर के प्रमोटर्स मलविंदर (बाएं) और शिवेंदर सिंह | ANI Photo

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जापानी कंपनी दाइची सांक्यो के मामले में रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तकों मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को अदालत की अवमानना का दोषी पाया. अदालत का कहना है कि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड में अपने शेयर नहीं बेचने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया.

दाइची ने इस मामले में सिंह बंधुओं के खिलाफ 3500 करोड़ की राशि के भुगतान संबंधी सिंगापुर न्यायाधिकरण का आदेश लागू करने का अनुरोध किया था.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले सिंह बंधुओं से उनकी योजना के बारे में पूछा था कि वे जापान की औषधि निर्माता कंपनी दायची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे करेंगे. सिंगापुर के एक न्यायाधिकरण ने सिंह बंधुओं को दाइची सैंक्यो को चार हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने का फैसला सुनाया था.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं. पीठ ने कहा कि सिंह बंधुओं ने उसके पहले के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसमें उन्हें फोर्टिस समूह के अपने नियंत्रण वाले शेयरों की बिक्री मलेशियाई कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर को नहीं करने के लिए कहा गया था.

न्यायालय ने कहा कि वे सजा के सवाल पर सिंह बंधुओं को बाद में सुनेंगे.

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जापानी फर्म ने सिंह बंधुओं के खिलाफ न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि उनके पक्ष में दिया गया पंचाट का फैसला संकट में पड़ गया है क्योंकि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस समूह में अपने नियंत्रण वाले अपने शेयर मलेशिया की कंपनी को बेच दिये हैं.

ईडी ने किया था गिरफ्तार

वहीं इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के कोष में हेर-फेर करने के आरोप में गुरुवार को फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक मलविंदर सिंह और रेलीगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) सुनील गोधवानी को गिरफ्तार किया था.

ईडी ने बताया कि दोनों पर धनशोधन का आरोप है जो धनशोधन निरोधक कानून की धारा तीन और चार के तहत संज्ञेय अपराध है.

यह है मामला

बता दें कि बीते अक्टूबर माह में आईपीसी की धारा 409 (बैंकर द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 420 (चीटिंग) और 120-बी (आपराधिक कांसपिरेसी) के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें मालविंदर मोहन सिंह, शिविंदर मोहन सिंह, सुनील गोधवानी के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे.

इसी साल अगस्त के शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांडरिंग से जुड़े मामले में मालविंदर और उनके भाई शिविंदर के घर पर छापा मारा था. यह छापा मनी लांडरिंग एक्ट के तहत दर्ज किए गए मामले के तुरंत बाद मारा गया था. जबकि पिछले साल फरवरी में दोनों भाई जो फोर्टिस हेल्थकेयर के भी निदेशक थे उन्होंने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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