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छत्तीसगढ़ सरकार ने 65 साल से अधिक उम्र और कोमोरबिडीटीज वाले मरीजों के लिए कोविड टेस्ट जरूरी किया

कोविड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की तकनीकी समिति ने अनुशंसा में पाया गया है कि कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मौतों का मुख्य कारण उनमें कमजोर इम्युनिटी, अन्य बीमारियां जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी रोग, सिकलसेल रोगों से ग्रसित होना है.

बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों की स्क्रीनिंग करते हुए स्वास्थ्यकर्मी, फाइल फोटो | पृथ्वीराज सिंह

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, इम्युनो काम्प्रोमाइज्ड, कोमोरबिडीटीज वाले मरीजों और गर्भवती महिलाओं की कोरोना जांच अब अनिवार्य कर दी है. सरकार ने ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमण के लिए हाई रिस्क यानि उच्च जोखिम वाली कैटेगरी में रखा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए स्टेट कोविड कंट्रोल एण्ड कमांड सेंटर के डाटा प्रभारी और प्रवक्ता डॉक्टर सुभाष पांडेय ने बताया, ‘उच्च जोखिम वर्ग का हर वह व्यक्ति जो संक्रमित के प्राइमरी कांटेक्ट में आया होगा या फिर कोमोरबीडीटीज वाले रोगों से ग्रसित होगा उसके लिए कोविड-19 जंच अनिवार्य होगी. कोरोना से हो रही मौतों की एक बड़ी वजह कोमोरबीडीटीज रही है. बुजुर्ग और कोमोरबिडीटीज वाले व्यक्तियों पर कोरोना कहर बन रहा है. इसलिए ऐसे रोगियों की पहचान जल्द करना आवश्यक है. इसके लिए जनजागरूकता का अभियान भी चलाया जाएगा.’

राज्य सरकार ने कोविड-19 टेस्ट की नई गाइडलाइन स्टेट कोविड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की तकनीकी समिति द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर जारी की है. समिति के अनुशंसा में पाया गया है कि कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मौतों का मुख्य कारण उनमें कमजोर इम्युनिटी, अन्य बीमारियां जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी रोग, सिकलसेल रोगों से ग्रसित होना है. कोविड-19 जांच में रणनीतिक बदलाव का प्रमुख कारण ऐसे लोगों की जल्द पहचान कर SARI – (Severe Acute Respiratory Illness) के लक्षण पाए जाने पर तुरंत इलाज की व्यवस्था करना है.

नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि ज्यादा जोखिम वाले व्यक्तियों में सर्दी खांसी बुखार जैसे लक्षण होने के बाद यदि एंटीजन जांच की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उनका आरटीपीसीआर या ट्रू-नाट टेस्ट कराना अनिवार्य होगा.

पांडेय ने बताया कि नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है, ‘बुखार, सर्दी, खांसी या सांस में तकलीफ (ILI – Influenza Like Illness) या सांस से संबंधित गंभीर बीमारी से पीड़ितों (SARI – Severe Acute Respiratory Illness) और निमोनिया के भर्ती मरीजों की भी कोविड-19 जांच अनिवार्य है.’


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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण और संक्रमितों की हो रही मौतों के कारण जांच का दायरा बढ़ाने और जल्द चिकित्सा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिया गया है. अधिकारियों के अनुसार सामान्यतः ऐसे लोगों की जांच तभी होती थी जब उनमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हों या फिर वे खुद से जांच कराना चाहते हों.

बता दें की पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ में कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या देश में सबसे तेजी से बढ़ी है. विगत एक माह में राज्य में कोविड-19 एक्टिव मरीजों की संख्या करीब 3,400 से बढ़कर 31,000 पार हो गई है. वहीं इस दौरान कुल पॉजिटिव पाए गए मरीजों की संख्या 12,500 से बढ़कर 58,600 से ज्यादा हो गयी है. करीब 20,000 हजार कोविड पॉजिटव मरीज पिछले 10-12 दिनों में पाए गए हैं. इस दैरान राज्य में कोविड संक्रमण का रिकवरी रेट भी देश के औसत से करीब 77 प्रतिशत से काफी नीचे आ गया है.

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