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चीनी कंपनी वीवो को आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर बनाने से कैट नाराज, शाह को लिखा खत

कैट ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एसजयशंकर को एक पत्र भेजकर बीसीसीआई को आईपीएल के आयोजन में वीवो कंपनी को स्पांसरशिप मिलने का विरोध किया है और आयोजन के लिए कोई स्वीकृति नहीं देने की मांग की है.

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बीसीसीआई—आईपीएल फोटो:दिप्रिंट

नई दिल्ली: बीसीसीआई द्वारा चीनी कंपनी वीवो को आ ईपीएल मैच में टाइटल स्पॉन्सर बनाए रखने के फैसले का विरोध शुरु हो गया है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है,’कैट गत 10 जून से देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर एक राष्ट्रीय अभियान चला रहा है जिसको देशभर से भारी समर्थन मिल रहा है.

बीसीसीआई के इस कदम के खिलाफ कैट ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर को एक पत्र भेजकर बीसीसीआई को इस आयोजन के लिए कोई स्वीकृति नहीं देने की मांग की है.’

बीसीसीआई के पैसे की भूख और लालच को दर्शाता है- कैट

कैट ने गृहमंत्री शाह को लिखे पत्र में कहा है, ‘बीसीसीआई का यह कदम देश में कोरोना को रोकने की सरकार की नीति और क़दमों के खिलाफ होगा. यह बीसीसीआई का एक पलायनवादी कदम है जो पैसे के प्रति  उनकी भूख और लालच को दर्शाता है.’

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा, ‘ओलंपिक और विंबलडन जैसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन कोरोना के कारण रद्द कर दिए गए हैं. बीसीसीआई भारत में आईपीएल को भारत में आयोजित नहीं कर सकता है, ऐसे में जिद्दी रवैया अपनाते हुए उसने दुबई में इसे आयोजित करने का निर्णय ले लिया है, जो स्पष्ट रूप से आईपीएल के द्वारा पैसे इकठ्ठा करने की बीसीसीआई की नीयत को दर्शाता है.’

उन्होंने सवाल करते हुए कहा की क्या सरकार से भी ऊपर बीसीसीआई है जो सीधे तौर पर सरकार के कोरोना से सम्बंधित नियमों को धता बता रहा है.

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, ‘संगठन ने बीसीसीआई और वीवो स्पांसरशिप को लेकर एक पत्र गृहमंत्री और विदेश मंत्री को भेजा है. पत्र में हमने लिखा है कि जून माह में भारतीय सीमाओं पर चीन की आक्रमकता ने चीन के खिलाफ भारत के लोगों की भावनाओं को बहुत बढ़ावा भी दिया है.’

वहीं उन्होंने आगे बताया, ‘पीएम मोदी के नेतृत्व में ‘लोकल फॉर वोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लिए कई संगठन अनेक कदम उठा रहे हैं. ऐसे में बीसीसीआई का निर्णय सरकार की इस नीति के विपरीत ही नहीं बल्कि उसका मजाक भी उड़ाने वाला है.’

बता दें कि इससे पहले कैट ने  भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध के बीच देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर जून में चर्चा का दौर शुरु हुआ था. इसी कड़ी में परंपरागत तरीके से खुदरा कारोबार करने वाले व्यापारियों के मंच कन्फेडरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का निर्णय लिया था. कैट ने ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से अभियान की शुरूआत की है जो अभी जारी है.


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देश की सुरक्षा और 59 एप पर प्रतिबंध

बीसीसीआई पर हमला बोलते हुए खंडेलवाल ने कहा, ‘हाल ही में केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए चीन पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए हैं, जिसमें 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.’

चीनी कंपनियों की साझेदारी को रेलवे और हाइवे परियोजनाओं से खारिज करना और इसी तरह के अन्य कदमों से  केंद्र सरकार के इस रुख को बड़ा समर्थन दिया है और यह सन्देश स्पष्ट गया है की यह पहली बार है कि केंद्र में किसी सरकार ने चीन के प्रभाव को कम करने के लिए साहसिक और दृढ़ कदम उठाए हैं.

ऐसे समय में बीसीसीआई का निर्णय लोगों की सुरक्षा की उपेक्षा करता है और वह भी चीनी कंपनियों के प्रति अनजाने प्रेम को भी दर्शाता है.

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