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संसद हमले को नाकाम करने वाले सीआरपीएफ के वीर जवान नयी संसद की रक्षा के लिए भी तैयार

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उप-निरीक्षक डी संतोष कुमार और श्यामबीर सिंह के लिए हर साल 13 दिसंबर को अपने शहीद साथियों को श्रद्धांजलि देना एक परंपरा रही है, लेकिन जब वे 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की उस घटना को याद करते हैं तो उनमें आक्रोश के साथ ही जोश की लहर दौड़ जाती है।

संसद हमले को विफल करने के लिए डी संतोष कुमार और श्यामबीर सिंह दोनों को शांतिकाल के तीसरे सर्वोच्च वीरता पदक ‘शौर्य चक्र’ से अलंकृत किया गया था। दोनों का कहना है कि मौका दिया गया तो वे नए संसद भवन की सुरक्षा के लिए ‘‘वापस आना पसंद करेंगे।’’

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि संसद का बजट सत्र, जो आमतौर पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में शुरू होता है, नए भवन में आयोजित किया जाएगा।

श्यामबीर सिंह से यह पूछे जाने पर कि क्या वह संसद सुरक्षा ग्रिड में एक और कार्यकाल देना चाहेंगे, उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ सीआरपीएफ अर्द्धसैनिक बलों की एक बड़ी इकाई है जिसे पूरे देश में तैनात किया जाता है और एक सैनिक की उसके स्थानांतरण या पोस्टिंग में कोई भूमिका नहीं होती है। वर्ष 2001 के बाद, मुझे विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है और मुझे अपने सभी कार्यकाल पसंद आए हैं। लेकिन, हां, अपने जीवन में किसी भी समय नए संसद परिसर की रक्षा करने के लिए निर्देश मिलने पर मैं बहुत भाग्यशाली और गौरवान्वित महसूस करूंगा। ’’

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उप-निरीक्षक श्यामबीर सिंह (53) ‘फिदायीन’ हमले से संसद भवन की रक्षा करने के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले उन सुरक्षाकर्मियों को सम्मान देने के लिए हर साल 13 दिसंबर को संसद भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा के समय इस बार भी दिल्ली में थे।

अप्रैल 1990 में सीआरपीएफ में शामिल हुए श्यामबीर सिंह वर्तमान में झारखंड के नक्सल विरोधी अभियान के लिए वहां तैनात हैं।

श्यामबीर सिंह के सहयोगी उप-निरीक्षक डी संतोष कुमार (41) की भी संसद हमले को लेकर ऐसी ही भावनाएं हैं।

डी संतोष कुमार ने उस दिन को याद करते हुए कहा, ‘‘2001 में उस दिन, मैं भाग्यशाली था क्योंकि मुझे आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा संभालने के लिए कुछ समय मिला और कुछ शुरुआती राउंड गोलियां चलाने के बाद रगों में जोश आ गया और बाकी की घटना इतिहास है। नए भवन में फिर से संसद की रक्षा करने का मौका दिया जाना निस्संदेह सम्मान की बात होगी।’’

संसद हमले के बाद डी संतोष कुमार केरल, छत्तीसगढ़, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर समेत कई अन्य स्थानों पर सीआरपीएफ के अभियान का हिस्सा रह चुके हैं।

डी संतोष कुमार ने कहा, ‘‘ मैं वर्तमान में सुकमा जिले में छत्तीसगढ़ के नक्सल विरोधी अभियान ग्रिड में तैनात हूं। हमारी नौकरी तबादले वाली है और तैनाती पूरी तरह से संगठन का विशेषाधिकार है। लेकिन, संसद की सुरक्षा में फिर से तैनाती का मौका मिलता है तो मैं अपने अन्य सहयोगियों की तरह उत्साहित रहूंगा। ’’

गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे। एक कर्मचारी और एक कैमरामैन की भी हमले में मौत हो गई थी।

भाषा रवि कांत नरेश

नरेश

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