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शिवसेना के दोनों गुटों को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के आयोजन की BMC ने नहीं दी अनुमति

1966 में शिवसेना की स्थापना के बाद से ही दशहरा रैली पार्टी के लिए हर साल अपनी ताकत दिखाने का एक मौका रही है. पार्टी विभाजित होने के बाद इस बार दोनों ही गुटों ने इसके लिए आवेदन किया था लेकिन नागरिक निकाय ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई है.

शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे | फाइल फोटो | एएनआई

मुंबई: मुंबई के नगर निकाय ने शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों को शहर के प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क में 5 अक्टूबर को दशहरा रैली के आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

नगर निकाय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के इनपुट के आधार पर समारोह की अनुमति नहीं दी है, जिसमें कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताई गई थी.

1966 में शिवसेना की स्थापना के बाद से हर साल शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित की जाती रही है— केवल 2020 और 2021 को छोड़कर जब कोविड के कारण इसका आयोजन नहीं हुआ.

लेकिन अब, शिवसेना जब पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच बंट चुकी है, दशहरा रैली के आयोजन को लेकर दोनों गुटों की तरफ से जोर-आजमाइश शुरू हो गई है.

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने दादर क्षेत्र स्थित पार्क में रैली की अनुमति के लिए बुधवार को बाम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. गुरुवार को इस पर सुनवाई होनी थी.

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इसी बीच, बीएमसी की तरफ से गुरुवार को स्पष्ट तौर पर ‘ना’ कह दिए जाने के बाद पार्टी ने उस फैसले को चुनौती दी है और अब इस पर शुक्रवार दोपहर सुनवाई होगी.

बीएमसी की तरफ से दोनों गुटों को जारी पत्र में लिखा है, ‘दोनों ही प्रतिद्वंद्वी दलों ने शिवाजी महाराज पार्क मैदान में दशहरा रैली के आयोजन की अनुमति मांगी है और ऐसे में अगर किसी भी एक आवेदक को रैली करने की अनुमति दी जाती है तो शिवाजी पार्क के आसपास संवेदनशील क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिहाज से गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है.’

ठाकरे गुट के अनिल देसाई ने जहां 22 अगस्त को अनुमति के लिए आवेदन दिया, वहीं एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से स्थानीय विधायक सदा सर्वंकर ने 30 अगस्त को आवेदन किया था.

इस मसले पर मीडिया से बातचीत में ठाकरे के करीबी अनिल परब ने कहा, ‘कोर्ट जो भी फैसला करेगी, हमें स्वीकार होगा. लेकिन हमें भरोसा है कि हमें अनुमति मिल जाएगी. 1966 लेकर अब तक कभी भी कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं रही है. और हमने हर नियम-कायदे का पूरी तरह पालन किया है.’

उन्होंने कहा, ‘यह कोई दादर क्षेत्र की समस्या नहीं है. बीकेसी में भी कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है, जहां मातोश्री (उद्धव ठाकरे का निवास) स्थित है. हम ऐसा कहें तो क्या होगा? ये सब बहाने हैं.’

हालांकि, मंत्री दीपक केसरकर ने विधायक सदा सर्वंकर की तरफ से रैली के आयोजन की अनुमति मांगने के अनुरोध का बचाव किया. मंत्री ने मीडिया से कहा, ‘इससे नुकसान क्या है? वह स्थानीय विधायक हैं और उन्होंने अभी आवेदन किया है. तो, कानून-व्यवस्था का सवाल कहां से उत्पन्न हो गया.’

संयोग से, दोनों ही गुटों ने दशहरा रैली के लिए वैकल्पिक स्थान भी एक ही चुना है— बांद्रा कुर्ला परिसर में एमएमआरडीए मैदान. हालांकि, शिंदे गुट ने इस मामले में ठाकरे समूह से बाजी मार ली है क्योंकि उन्होंने इसके लिए पहले आवेदन किया था.

इस बीच, शिवसेना अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि दशहरा रैली समारोह शिवाजी पार्क में ही होगा.

अगले साल जनवरी या फरवरी में प्रस्तावित नगर निकाय चुनावों से पहले ठाकरे के लिए दशहरा रैली में शक्ति प्रदर्शन काफी मायने रखता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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