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प्याज की कम कीमत से परेशान किसानों को बड़ी राहत, सरकारी एजेंसियों को उनसे सीधे खरीदने का निर्देश

गिरती कीमतों की चुनौतियों का समाधान के लिए, सरकार के पास प्याज की खरीद और भंडारण के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष है, जो मंदी के समय आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रखने के लिए एक बफर के रूप में काम करता है.

दिल्ली में प्याज बेचता दुकानदार, प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो : पीटीआई

नई दिल्ली: सरकार ने मंडियों में प्याज की कीमतों में गिरावट की खबरों के मद्देनजर अपनी खरीद एजेंसियों को खरीफ की लाल प्याज की खरीद करने और उपभोग केंद्रों को एक साथ भेजने व बिक्री के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया है.

इसने किसानों से प्याज खरीदने के लिए नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) और नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) को निर्देश दिया है. गिरती कीमतों की चुनौतियों का समाधान के लिए, सरकार के पास प्याज की खरीद और भंडारण के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष है, जो मंदी के समय आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रखने के लिए एक बफर के रूप में काम करता है.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार शाम एक बयान में कहा कि नेफेड ने पिछले 10 दिनों में लगभग 4,000 टन प्याज सीधे किसानों से 100 किलोग्राम को प्रति 900 रुपये से ऊपर की दर से खरीदा है.

ऐसी खबरें थीं कि भारत के सबसे बड़े प्याज बाजार लासलगांव मंडी में यह 1-2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कम पर बिक रही है.

मंत्रालय के बयान के अनुसार नेफेड ने 40 खरीद केंद्र खोले हैं जहां किसान अपना स्टॉक बेच सकते हैं और अपना भुगतान ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं. नेफेड ने खरीद केंद्रों से स्टॉक को दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद और कोच्चि तक ले जाने की व्यवस्था की है.

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2022-23 के दौरान प्याज का अनुमानित उत्पादन लगभग 318 लाख टन है, जो पिछले साल के 316.98 लाख टन के उत्पादन को पार कर गया है.

‘मांग और आपूर्ति के साथ-साथ निर्यात क्षमता में निरंतरता के कारण कीमतें स्थिर रहीं. हालांकि, फरवरी के महीने में लाल प्याज की कीमतों में गिरावट देखी गई, विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में जहां मॉडल दर 500 -700 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई. विशेषज्ञों ने इस गिरावट का कारण देश के प्रमुख उत्पादक जिले यानी नासिक से आपूर्ति पर निर्भरता को कम करते हुए अन्य राज्यों में कुल उत्पादन में वृद्धि को बताया है.’

प्याज सभी राज्यों में बोया जाता है, हालांकि, महाराष्ट्र लगभग 43 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ प्रमुख उत्पादक है, मध्य प्रदेश 16 प्रतिशत, और कर्नाटक और गुजरात राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 9 प्रतिशत योगदान करते हैं. इसकी साल में तीन बार कटाई होती है. खरीफ, पछेती खरीफ और रबी के दौरान फसल बुआई के साथ, इसकी साल में तीन बार कटाई होती है.

रबी की फसल सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 72 -75 प्रतिशत योगदान देती है और मार्च से मई के महीनों में काटा जाता है. रबी की फसल की शेल्फ लाइफ उच्चतम और भंडारण योग्य होती है जबकि खरीफ और पछेती खरीफ की फसल सीधे उपभोग के लिए होती है और स्टोर करने योग्य नहीं होती है.

‘देशभर में प्याज की कटाई का समय पूरे साल ताजा/संग्रहीत प्याज की नियमित आपूर्ति करता है. लेकिन कभी-कभी मौसम की अनियमितता के कारण या तो संग्रहीत प्याज खराब हो जाता है या बोया गई प्याज खराब हो जाती है जिससे आपूर्ति की कमी हो जाती है और घरेलू कीमतों में वृद्धि.’

पिछले साल नेफेड ने बफर स्टॉक के तौर पर 2.51 लाख टन रबी प्याज खरीदा था.

‘समय पर और कैलिब्रेटेड रिलीज़ ने सुनिश्चित किया कि कीमतें असामान्य रूप से नहीं बढ़ेंगी. सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए संग्रहीत प्याज पूरे देश में रिलीज की गई थी.’

इस सीजन में भी 2.5 लाख टन बफर स्टॉक रखने का फैसला किया है.

मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘प्याज का भंडारण चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अधिकांश स्टॉक खुले मैदानों के हवादार संरचनाओं (चाल) में जमा किया जाता है और इस भंडारण की अपनी चुनौतियां हैं. इसलिए, वैज्ञानिक कोल्ड चेन भंडारण की आवश्यकता है, प्याज की लंबी शेल्फ लाइफ के लिए अंडर ट्रायल है. इस तरह के मॉडलों की सफलता हाल ही में देखे गए कीमतों के झटकों से बचने में मदद करेगी. बाजार पर नजर रखने वाले भी निर्यात नीति में निरंतरता का सुझाव देते हैं, क्योंकि इससे भारतीय प्याज के लिए बेहतर निर्यात बाजार सुनिश्चित होगा.’


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