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बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को मिली जान से मारने की धमकी, पुलिस ने कहा जांच जारी

बंद्योपाध्याय को उनकी पत्नी को भेजे गए एक पत्र के माध्यम से जान से मारने की धमकी मिली थी. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव ने राज्य सरकार को पत्र के बारे में सूचित कर दिया है.

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय | एएनआई

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रमुख सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय को उनकी पत्नी को भेजे गए एक पत्र के जरिए जान से मारने की धमकी मिली है.

कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति, उनकी पत्नी सोनाली चक्रवर्ती को संबोधित पत्र में लिखा है कि ‘आपके पति को मार दिया जाएगा। तुम्हारे पति की जान कोई नहीं बचा सकता.’ प्रिंट के पास पत्र की एक प्रति है.

कोलकाता पुलिस में शिकायत दर्ज कर ली गई है और जांच शुरू कर दी गई है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘सरकार उनकी सुरक्षा बढ़ाएगी. उनके परिवार को भी सुरक्षा मिलेगी. हम इस तरह के घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहे हैं. पत्र कोलकाता में कैट बेंच के समक्ष पेश होने की उनकी निर्धारित तिथि से पहले लिखा गया था. अभी हम किसी भी बात से इंकार करने की स्थिति में नहीं हैं. हम हर लिंक, दस्तावेजों और अन्य घटनाक्रमों में निवेश कर रहे हैं, जो केंद्रीय जांच शुरू होने के बाद से सामने आ रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि बंद्योपाध्याय ने अब राज्य सरकार को ‘डराने और परेशान करने वाले’ पत्र के बारे में सूचित किया है.

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नकली नाम और पता

10 अक्टूबर को पत्र स्पीड पोस्ट के माध्यम से चक्रवर्ती के कार्यालय को भेजा गया था. यह उन्हें 26 अक्टूबर को प्राप्त हुआ था. पत्र में भेजने वाले का नाम और पता गौरहरी मिश्रा, सी/ओ डॉ महुआ घोष, रासायनिक प्रौद्योगिकी विभाग, राजाबाजार साइंस कॉलेज के रूप में है. पत्र कॉलेज के विज्ञान सचिव को कॉपी कर लिया गया है.

पुलिस ने हालांकि कहा कि भेजने वाले का नाम और पता फर्जी है. नाम और पता उम्मीद के मुताबिक फर्जी निकला. लेकिन हम इसकी जांच कर रहे हैं, जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी.’

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव बंद्योपाध्याय मई में मोदी सरकार और ममता बनर्जी सरकार के बीच तनातनी में फंस गए थे. पश्चिम मिदनापुर के कलाईकुंडा एयरबेस पर पीएम मोदी की अगवानी के लिए मौजूद नहीं होने के बाद केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की.

उन्होंने अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने में भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए 8 अक्टूबर को कैट का रुख किया था. उनके मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर को कैट कोलकाता बेंच द्वारा की जानी थी, लेकिन मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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