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ममता सरकार ने कोरोना के हॉटस्पॉट की पहचान के लिए किया डाटा एनालिसिस सेल का गठन, ढील देने पर विचार

सरकार ने इस सप्ताह पहले फूलों के कारोबार और बीड़ी उद्योग को छूट दी थी और अब चाय बागानों को सशर्त खोलने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा जरूरी सेवाओं के तहत कुछ जगह टैक्सियां भी चलेंगी.

फोटो साभार : प्रभाकर मणि तिवारी

कोलकाता: कोरोना की वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार मानवीय आधार पर कुछ क्षेत्रों को आंशिक ढील देने पर विचार कर रही है. सरकार ने राज्य में इस वायरस के हॉटस्पॉट की पहचान के लिए एक नौ सदस्यीय डाटा एनालिसिस सेल का गठन किया है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि लॉकडाउन बढ़ने की स्थिति में मानवीय पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा. इसी वजह से सरकार कुछ क्षेत्रों को आंशिक ढील देने पर भी विचार कर रही है. इसके लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो इस मामले में अपनी सलाह देगी. पश्चिम बंगाल में कोरोना से मरने वालों की तादाद तो पांच ही है. लेकिन इसके मरीजों की तादाद बढ़ कर 80 हो गई है. तीन लोगों को स्वस्थ होने के बाद गुरुवार को अस्पताल से घर भेज दिया गया.

राज्य सचिवालय में व्यापारिक संगठनों, होटल और पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन का पालन करना अनिवार्य है. लेकिन सरकार कुछ क्षेत्रों को आंशिक छूट देने पर विचार कर रही है. लेकिन वहां भी सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा. ममता का कहना है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूर इसकी वजह से पहले से ही काफी परेशानियां झेल रहे हैं. ममता शनिवार को प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में लॉकडाउन पर अपनी राय से उनको अवगत कराएंगी. लेकिन अगर केंद्र ने लॉकडाउन बढ़ाया तो सरकार इसका पालन करेगी.

सरकार ने इस सप्ताह पहले फूलों के कारोबार और बीड़ी उद्योग को छूट दी थी और अब चाय बागानों को सशर्त खोलने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा जरूरी सेवाओं के तहत कुछ जगह टैक्सियां भी चलेंगी. इनके जरिए खाद्यन्नों और दूसरे जरूरी सामानों की ढुलाई की जाएगी. लेकिन टैक्सी में ड्राइवर के अलावा दो लोग ही बैठ सकेंगे. ममता ने होम डिलीवरी को भी लॉकडाउन से छूट दी है. सरकार ने तमाम तरह के लाइसेंस और पंजीकरण के नवीनीकरण की मियाद भी 31 मार्च से बढ़ा कर 30 जून करने का एलान किया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि कोई भी लॉकडाउन नहीं चाहता. लेकिन हम मजबूर हैं. इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए हम सबको इसके साथ तालमेल बिठाना होगा.


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केंद्र सरकार ने बीते शनिवार को पचास फीसदी मजदूरों के साथ चाय बागानों को चलाने की अनुमति दे दी थी. लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया था. ममता की दलील थी कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के कालिम्पोंग इलाके में एक ही परिवार के 11 लोग कोरोना की चपेट में हैं. वहां एक महिला की मौत भी हो गई है. लेकिन राज्य सचिवालय में हुई बैठक के दौरान बागान मालिकों ने चेताया था कि अगर उत्पादन शीघ्र शुरू नहीं हुआ तो उद्योग को भारी नुकसान उठाना होगा. एक बागान मालिक ने कहा कि अप्रैल में चाय उत्पादन के लक्ष्य में पिछड़ने की वजह से कम से कम सौ मिलियन किलो चाय कम पैदा होगी. इससे होने वाले नुकसान के एक हजार करोड़ का आंकड़ा पार होने का देशा है. उसके बाद गुरुवार को चाय उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद ममता ने इसकी सशर्त अनुमति दे दी.

ममता ने बताया कि चाय बागान मालिकों की दलील है कि अगर हरी पत्तियां नहीं चुनी गईं तो कुछ दिनों बाद उससे चाय नहीं तैयार हो सकेगी. इसलिए सरकार ने बारी-बारी से 15 फीसदी मजदूरों के साथ बागानों में काम शुरू करने की अनुमति दी है. लेकिन वहां सुरक्षा का तमाम उपाय अपनाने होंगे.

डाटा एनालिसिस सेल के गठन के अलावा राज्य सरकार ने बंगाल के हाटस्पाट का पता लगाने के लिए राज्य सरकार ने ‘संधाने’ नाम का एप भी लॉन्च किया है. इसे राज्य सचिवालय नवान्न के सर्वर से जोड़ा गया है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी इसकी लगातार निगरानी करेंगे और इससे मिलने वाली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. ममता ने कहा है कि कोलकाता में कुछ जगह टैक्सी स्टैंड खुलेंगे. उन टैक्सियों में ड्राइवर के अलावा दो से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकते. बाजारों और दुकानों में खाद्य सामग्रियों को पहुंचाने के लिए भी टैक्सियों की सहायता ली जाएगी.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से बंगाल में 16 राज्यों के मजदूर फंसे हुए हैं. सरकार ने दो लाख मजदूरों के खाने का इंतजाम किया है. ममता ने कहा कि अगले दो सप्ताह बेहद अहम हैं. लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगह से बचना चाहिए. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 61 अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के इलाज का इंतजाम किया गया है. इसके अलावा 562 सरकारी क्वारंटीन केंद्र बनाए गए हैं.

इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल तक अदालतों का कामकाज बंद रखने का निर्देश दिया है. पहले उसने नौ अप्रैल तक इसे बंद रखने को कहा था. बेहद जरूरी मामलों की सुनवाई स्काईप के जरिए की जा रही है.

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