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‘हमारा आरएसएस’: कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष ने खुलकर जाहिर किया ‘संघ से अपना जुड़ाव’ तो हुआ हंगामा

गुरुवार को कार्यवाही के दौरान अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगडे कागेरी ने संघ को ‘हमारा आरएसएस’ कहा. उनके इस बयान की कांग्रेस विधायकों ने आलोचना की. हालांकि, विरोध के बावजूद, कागेरी अपने बयान पर अड़े रहे.

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी की फाइल फोटो | एएनआई

बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के एक बयान से गुरुवार को विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया. हंगामे की वजह यह रही कि उन्होंने कार्यवाही की अध्यक्षता करने के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को ‘हमारा आरएसएस’ कहा.

आरएसएस बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक है. राज्य में बीजेपी की सरकार है.

कागेरी ने विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पूछा, ‘आप हमारे आरएसएस से हमेशा इतने नाराज क्यों रहते हैं?’

उनकी इस टिप्पणी पर तुरंत ही कांग्रेस के विधायक बी. जेड. जमीर अहमद खान ने पूछा, ‘माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस कुर्सी पर बैठकर इसे ‘हमारा आरएसएस’ कैसे कह सकते हैं?’

इसके जवाब में, हुआ ये कि अध्यक्ष ने जो भी कहा उस पर वो कायम रहे. यही नहीं, ट्रेज़री बेंच ने भी एक सुर में, अध्यक्ष के इस वक्तव्य को अपना समर्थन दिया.

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कागेरी ने कहा, ‘वाकई, ऐसा ही है. और क्या, अगर हमारा आरएसएस नहीं तो? यह आरएसएस हमारा है. जमीर, मैं आपसे एक बात कहता हूं, जल्द ही आपके साथ ही हमारे देश का हर किसी को ‘हमारा आरएसएस’ कहना पड़ेगा.’

यह पहली बार नहीं है जब कागेरी ने खुले तौर पर आरएसएस से झुकाव का इजहार किया है. जुलाई 2019 में जब उनका चुनाव अध्यक्ष के तौर पर हुआ, तब उन्होंने अपनी उपलब्धियों का श्रेय आरएसएस को दिया था. जब कुछ सदस्यों ने आरएसएस की विचारधारा के बारे में टिप्पणी की, तो उन्होंने संगठन से अपने जुड़ाव का बचाव किया.

‘पूरे देश में है आरएसएस की मौजूदगी’

कागेरी की यह टिप्पणी गुरुवार को सिद्धारमैया के उस बयान के जवाब में आई जिसमें राजनीतिक मतभेदों पर व्यक्तिगत संबंधों को तवज्जो देने के बारे में कहा गया था.

सिद्धारमैया ने कहा, ‘पहले हम एक व्यक्ति के तौर पर एक-दूसरे का सम्मान करना होगा. हो सकता है कि हमारे बीच मतभेद हो, लेकिन इससे इतर हमारे व्यक्तिगत संबंध भी हैं. पहले कोई व्यक्ति है उसके बाद बीजेपी, आरएसएस या कांग्रेस.’

सिद्धारमैया के इस बयान के तुरंत बाद कागेरी न पूछा कि पूर्व सीएम अक्सर ‘हमारे’ आरएसएस को निशाना क्यों बनाते हैं.

वहीं, कांग्रेस नेताओं ने स्पीकर की टिप्पणी का पुरजोर विरोध किया. दूसरी ओर, बीजेपी के मंत्रियों सहित अन्य नेताओं ने कागेरी का समर्थन किया है.

राजस्व मंत्री आर. अशोक ने कहा, ‘मैं स्पीकर की टिप्पणी से सहमत हूं. आज पूरे देश में आरएसएस की मौजूदगी है. हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और यहां तक कि मुख्यमंत्री भी आरएसएस से हैं. आपको इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा. यह हमारा सौभाग्य है.’

बीजेपी के एक अन्य दिग्गज नेता और ग्रामीण विकास मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने कहा कि दूसरे धर्म को मानने वाले लोग भी जल्द ही आरएसएस से जुड़ने लगेंगे. उन्होंने आगे कहा, ‘आप मानें या न मानें, भारत में सभी ईसाई और मुसलमान भी जल्द ही आरएसएस का हिस्सा बन जाएंगे.’ इसके बाद, कांग्रेस नेता और भड़क गए.

वहीं, कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, ‘माननीय अध्यक्ष, आप पिछले सप्ताह उसी कुर्सी पर बैठे थे और संविधान की गरिमा को बनाए रखने की जरूरतों के बारे में बात की थी. आज आप उसी कुर्सी पर बैठकर कहते हैं कि आप आरएसएस के हैं. वही संगठन जिसने संविधान का विरोध किया और उसकी प्रतियां जलाकर मांग की कि इसे मनुस्मृति से बदल दिया जाए.’ अध्यक्ष ने खड़गे की टिप्पणियों को ‘निम्न स्तर’ का बताते हुए खारिज कर दिया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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