नई दिल्ली: एक 40 वर्षीय पाकिस्तानी शख़्स जो कई सालों से दिल्ली में रह रहा था, और कथित रूप से एक सक्रिय स्लीपर सेल नोड का हिस्सा है, उसे सोमवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया.
डीसीपी स्पेशल सेल प्रमोद कुशवाहा के अनुसार, अभियुक्त मोहम्मद अशरफ राष्ट्रीय राजधानी के लक्ष्मी नगर इलाक़े में, अली अहमद नूरी के नाम से रह रहा था, और एक ‘पीर मौलाना’ के भेष में रहता था.
कुशवाहा ने कहा, ‘अशरफ भारत में स्लीपर सेल नोड्स के प्रमुख के रूप में काम कर रहा था, और उसे त्योहारी सीज़न में आतंकी हमलों को अंजाम देने का काम मिला हुआ था’.
उन्होंने आगे कहा, ‘उस पर अतीत में जम्मू-कश्मीर तथा भारत के दूसरे हिस्सों में कई आतंकी हमलों में शामिल होने का संदेह है. इस केस में आगे जांच की जा रही है’.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अशरफ पिछले 14-15 साल से भारत में रह रहा है. वो फर्ज़ी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके, अपनी जगहें बदलता रहा है, और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज़ इंटेलिजेंस के निर्देशों पर काम कर रहा था.
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, दिप्रिंट को बताया, ‘हमें स्लीपर सेल्स के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी, और पता चला था कि उनका मुखिया, जिसे आगामी त्योहारी सीज़न के दौरान आतंकी हमलों करने का काम सौंपा गया था, हमलों की अगुवाई के लिए, हथियारों और गोला बारूद की ख़रीदारी के, अंतिम चरण में पहुंच गया था’.
अशरफ से शुरुआती पूछताछ के आधार पर, पुलिस ने यमुना पार और उसके आसपास के इलाक़ों में छापेमारी की, और एक एके-47 असॉल्ट राइफल, एक हथगोला, 60 राउंड्स के साथ एके-47 की दो मैगज़ीन्स, 50 राउंड्स के साथ चीन में निर्मित दो पिस्तौल, एक भारतीय पासपोर्ट, और कुछ अन्य फर्ज़ी भारतीय आईडीज़ बरामद कीं.
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आतंकी हमलों के लिए ISI ट्रेनिंग
पुलिस के अनुसार दसवीं क्लास पास अशरफ, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल शहर के चंदरके कंजरूर का रहने वाला है.
सीपी कुशवाहा ने कहा, ‘उसे 2004 में सियालकोट में, एक पाकिस्तानी आईएसआई हैण्डलर ने ट्रेनिंग दी थी, जिसका कोड नाम नासिर था. पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट ने उसे भारत में, एक स्लीपर सेल के तौर पर काम करने के लिए प्रेरित किया’.
पुलिस ने ये भी कहा कि अशरफ भारत में पहली बार, पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी बॉर्डर के रास्ते दाख़िल हुआ था.
कुशवाहा ने कहा, ‘भारत में आने के बाद वो अजमेर चला गया और वहां एक स्थानीय मस्जिद के मौलवी से दोस्ती कर ली. 2006 में वो मौलवी के साथ दिल्ली आ गया, और राजधानी शहर के अलग अलग कारख़ानों में, तिलावत (दिहाड़ी मज़दूरी पर नमाज़ पढ़ाने) का काम करने लगा’.
सूत्रों ने बताया कि आरोपी को शुरू में, कथित आईएसआई हैण्डलर नासिर से पैसा मिलता था, जो मौलवी के रिश्तेदारों की आईडीज़ के ज़रिए आता था.
डीसीपी कुशवाहा ने बताया, ‘बरामद किए गए हथियारों और गोला बारूद का बंदोबस्त, पाकिस्तानी हैण्डलर ने किया था. उसकी गिरफ्तारी के साथ त्योहारी सीज़न के लिए नियोजित आतंकी हमलों को भी रोक दिया गया है’.
अशरफ पर गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, आर्म्स एक्ट और दूसरे क़ानूनों के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पिछले महीने भी, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था, जो कथित रूप से ‘पाकिस्तान- संचालित आतंकी मॉड्यूल’ का हिस्सा थे, और जिन्हें त्योहारी सीज़न के दौरान आतंकी हमलों को अंजाम देने का काम सौंपा गया था.
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