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‘फिर से दरकिनार’: हरियाणा IAS अधिकारी अशोक खेमका का 55वां ट्रांसफर, आर्काइव्स डिपार्टमेंट में चौथी पोस्टिंग

खेमका का तबादला सरकार को लिखे उनके पत्र के ठीक बाद हुआ, जिसमें कहा गया था कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी और उच्च शिक्षा डिपार्टमेंट के मर्ज होने के बाद उनके पास पर्याप्त काम नहीं है.

IAS अशोक खेमका की फाइल फोटो | क्रेडिट: यूट्यूब @TEDx Talks

नई दिल्ली: 1991 बैच के इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) अधिकारी अशोक खेमका जैसा करियर बहुत कम सिविल सेवकों का रहा होगा, जिन्हें सोमवार को 55वीं बार तबादला झेलना पड़ा. 30 साल से अधिक के अपने सेवा करियर के दौरान, खेमका का किसी डिपार्टमेंट में औसतन लगभग छह महीने का कार्यकाल रहा है.

सांकेतिक शब्दों का चुनाव करते हुए, खेमका ने हरियाणा सरकार के अभिलेखागार डिपार्टमेंट के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में उनकी नई पोस्टिंग के संदर्भ में ट्विटर पर लिखा– “एक बार फिर दरकिनार”.

उन्होंने आगे कहा, “एक सरकारी अधिकारी को हर हफ्ते कम से कम 40 घंटे काम करना होता है. लेकिन किताब में ईमानदार और अडिग लोगों से निपटने की एक नई तरकीब है. सिविल सेवा बोर्ड को दरकिनार कर थोड़ा काम सौंपें. स्वाभिमान को ठेस पहुंचाएं और अपमानों का अंबार सजाएं. यह किसके हित में काम करता है?”

खेमका को कथित तौर पर उनकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट में 10 में से 9.9 रेटिंग मिली थी.

ठीक तीन महीने पहले, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव खेमका को “दुर्लभ नस्ल के अधिकारी” और “रत्न” कहकर संबोधित किया था.

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हरियाणा सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, खेमका के तबादले का ऑर्डर तब आया था जब उन्होंने सरकार को लिखा था कि उच्च शिक्षा विभाग के साथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के मर्ज होने के उनके पास पर्याप्त काम नहीं है.

खेमका, पहली बार 2012 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद उद्योगपति रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े गुरुग्राम के एक ज़मीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द करने के लिए सुर्खियों में आए थे. म्यूटेशन भूमि के स्वामित्व को ट्रांसफर करने की आधिकारिक प्रक्रिया का हिस्सा है.

पिछले एक दशक में, किसी भी अन्य सिविल सेवक की तुलना में खेमका के अधिक ट्रांसफर हुए हैं, हर एक ट्रांसफर के साथ उन्हें एक नई तरह की पोस्टिंग दी गई.


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एक डिपार्टमेंट में तीसरी पोस्टिंग

खेमका के करियर के दौरान कुल मिलाकर चार मौकों पर उन्होंने अपने शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें तबादला झेलना पड़ा था. मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के 2014 में राज्य में पहली बार सत्ता में आने के बाद इस डिपार्टमेंट में यह उनकी तीसरी पोस्टिंग होगी.

इससे पहले उन्होंने अभिलेखागार डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल और बाद में प्रिसिंपल सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया. पहली बार इस डिपार्टमेंट में 2013 में कोई तबादला किया गया, उस समय हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी.

इससे जुड़े सूत्रों ने कहा कि IAS अधिकारी ने मुख्य सचिव को लिखे अपने लेटर में संकेत दिया था कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में अधिकारियों का कार्यभार “प्रति सप्ताह 2-3 घंटे से अधिक नहीं” था.

सूत्रों के अनुसार, लेटर में कहा गया, “यह सुझाव दिया जाता है कि एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) रैंक के एक अधिकारी को सप्ताह में कम से कम 40 घंटे के कुल कार्यभार के साथ डिपार्टमेंट सौंपा जाता है.” इसमें आगे कहा गया, “अगर कैडर अधिकारियों के लिए पर्याप्त कार्यभार नहीं है, तो गैर-कैडर अधिकारियों को प्रशासनिक सचिवों से हटाकर उनके अपने डिपार्टमेंट्स में वापस भेजा जा सकता है.”

यह पहली बार नहीं है जब खेमका ने “अनदेखी” किए जाने पर नाखुशी जाहिर की है.

19 अक्टूबर, 2022 को खेमका ने एक ट्वीट में कहा था, “भारत सरकार के सचिव के रूप में नवनियुक्त मेरे बैचमेट्स को बधाई! जबकि यह खुशी का मौका है, यह अपने खुद के पीछे छूट जाने पर निराशा लाता है. सीधे पेड़ हमेशा पहले काटे जाते हैं. कोई पछतावा नहीं. नए संकल्प के साथ, मैं अडिग रहूंगा.”

“मुश्किल सीमाओं और उलझे हुए हितों के बावजूद भ्रष्टाचार को दूर करने और परिवहन में सुधार लाने के लिए कड़ी मेहनत की. यह पल सचमुच में दर्दनाक है.”

उन्होंने 2015 में पुरातत्व और संग्रहालय विभाग में सचिव और पुरातत्व और संग्रहालय विभाग में डायरेक्टर जनरल के रूप में तैनात किए जाने के बाद एक ट्वीट में लिखा था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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