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दिल्ली में चमकदार नीले गुंबद वाला ये मुगलकालीन स्मारक लोगों को कर रहा है आकर्षित

निजामुद्दीन इलाके के पास मथुरा रोड और लोधी रोड के व्यस्त जंक्शन पर स्थित ये स्मारक बस एक झलक भर दिखा करता था. रोचक बात ये है कि सब्ज़ बुर्ज, जिसका अर्थ है हरा गुंबद, वास्तव में नीला है.

जीर्णोद्धार कार्य के बाद निजामुद्दीन स्थित सब्ज़ बुर्ज | फोटो: उन्नति शर्मा

मुगलकालीन समय का एक और स्मारक दिल्ली में अपने चमकदार नीले गुंबद के साथ जीवंत हो उठा है. लंबे समय तक सब्ज़ बुर्ज एक पुलिस स्टेशन था और हर साल अनेक गाड़ियां, वाहन वहां से गुजरा करते थे और अब भी गुजरते हैं.

निजामुद्दीन इलाके के पास मथुरा रोड और लोधी रोड के व्यस्त जंक्शन पर स्थित ये स्मारक बस एक झलक भर दिखा करता था. रोचक बात ये है कि सब्ज़ बुर्ज, जिसका अर्थ है हरा गुंबद, वास्तव में नीला है.

अगा खान फाउंडेशन द्वारा तीन साल से अधिक के जीर्णोद्धार कार्य के बाद, सब्ज़ बुर्ज, जिसे नीला गुंबद या नीली छतरी के नाम से जाना जाता है आखिरकार पिछले सप्ताह आगंतुकों के लिए खोल दिया गया. इसके गुंबद के नीचे का लंबा पाइप जैसा ढांचा और अंदर छत पर पायी गयी खूबसूरत जटिल नीली और सोने के काम से बानी पेंटिंग इसे खास बनाती है, जो हाल ही में पायी गयी.

गुंबद के ऊपर एक-एक उलटे कमल के फूल की आकृति है और गुंबद पर चमकदार नीले और फिरोज़ी रंग के मिश्रण की टाइलों का काम है. इसकी ड्रम की आकृति वाली गर्दन पर चार रंगों- पीले, हरे और नीले रंग के दो शेड्स में ज्यामितीय पैटर्न में सेट की गई टाइलों का सजावटी काम भी है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और हैवेल्स इंडिया लिमिटेड के साथ, 2018 में अगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर द्वारा इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया था. यह ऐसी जगह स्थित है जहां हुमायूं के मकबरे से लेकर सुंदर नर्सरी जैसे अद्भुत वास्तुकला वाले स्मारक स्थित हैं.

अगा खान ट्रस्ट में निजामुद्दीन बस्ती शहरी नवीनीकरण परियोजना की प्रोजेक्ट मैनेजर उज्ज्वला मेनन ने दिप्रिंट को बताया, ‘दिल्ली में इस तरह की कोई इमारत नहीं है जिसमें गुंबद के नीचे लंबे ड्रम जैसा ढांचा हो और ढेर सारा टाइल का काम हो. एक चित्रित छत है, जो इस क्षेत्र में पायी गयी किसी मुगल वास्तुकला स्मारक में नहीं मिलती … अंदर की पेंटिंग असली लैपिस और सोने से बनाई गई थी और इसमें से कुछ अभी भी दिखाई दे रही है. इसमें से बहुत कुछ वास्तव में खो गया है, यही कारण है कि इसके संरक्षण के लिए हमें सोचना पड़ा.’

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निजामुद्दीन स्थित सब्ज़ बुर्ज में हुए जीर्णोधार कार्य की टाइमलाइन | फोटो: उन्नति शर्मा

मेनन ने कहा, ‘सब्ज़ बुर्ज हुमायूं के मकबरे के पुनर्विकास की परियोजना का एक अभिन्न अंग है क्योंकि यह एक ऐसे स्थान पर स्थित है जो स्मारक में प्रवेश की घोषणा करता प्रतीत होता है. इसकी स्थापत्य शैली तैमूर राजवंश (तुर्क-मंगोल मूल के) से मिलती जुलती है, और ये शायद मुगल काल की शुरुआती इमारतों में से एक है.’

ये पहला स्मारक है जिसका संरक्षण कॉर्पोरट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड के साथ किया गया. हैवेल्स इंडिया ने ऐतिहासिक परिसर के रात्रि सजावट को बढ़ाने के लिए रोशनी प्रदान की.

बहाली का काम अगा खान ट्रस्ट द्वारा हुमायूं के मकबरे-निजामुद्दीन क्षेत्र में एक दशक के लंबे प्रयास का हिस्सा था.

मेनन ने बताया, ‘हम काफी समय से निजामुद्दीन क्षेत्र में काम कर रहे हैं … इसकी शुरुआत हुमायूं के मकबरे के बगीचों के जीर्णोद्धार से हुई थी. 2007 में, हमने हुमायूं के मकबरे परियोजना पर काम करना शुरू किया, जो कि निजामुद्दीन शहरी नवीनीकरण परियोजना के रूप में विकसित हुई है.’


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सब्ज़ बुर्ज की अनोखी लोकेशन

हुमायूं के मकबरे या सुंदर नर्सरी- जो दिल्ली का पसंदीदा हैंग-आउट स्थान बन गया है- में जाने वाला कोई भी व्यक्ति स्मारक को आसानी से देख सकता है. दुर्भाग्य से बहुत से लोग इसके इतिहास और विरासत के बारे में नहीं जानते हैं.

इन दोनों प्रसिद्ध स्थानों पर आए कई आगंतुक सब्ज़ बुर्ज के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं थे. दिप्रिंट ने कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों से बात की और केवल कुछ ही इसकी सही पहचान कर सके. पास के निजामुद्दीन बस्ती के एक ऑटो-रिक्शा चालक मोहम्मद नासिर ने दिप्रिंट को बताया कि स्मारक नीला गुंबद के नाम से स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है.

उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि यह कुछ वर्षों के लिए कवर किया गया था, और अब इसे खोल दिया गया है. हमने यह भी सुना है कि इसके नीचे एक सुरंग है, और जब आप मकबरे के अंदर जाते हैं, तो आपकी आवाज गूंजती है.’

जीर्णोद्धार कार्य के बाद निजामुद्दीन स्थित सब्ज़ बुर्ज | फोटो: उन्नति शर्मा

हुमायूं के मकबरे परिसर के बाहर गोल गप्पा स्टॉल लगाने वाले राजेश कुमार का कहना है कि उन्होंने केवल कुछ लोगों को नए पुनर्निर्मित स्मारक पर जाते देखा है.

कुमार कहते हैं, ‘कुछ लोग जो इस प्रकार की इमारतों में रुचि रखते हैं और हुमायूं का मकबरा देखने आते हैं, वे इसे भी आकर देखते हैं. मुझे लगता है कि समस्या यह है कि यहां से बहुत सारे वाहन गुजर रहे होते हैं और शांति से सड़क पार करना आसान नहीं है. शायद इसीलिए लोग इसे केवल बाहर से देखते हैं.’

अगा खान ट्रस्ट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग छह मिलियन कारें सालाना यहां से गुजरती हैं.

मेनन ने कहा, ‘मूल रूप से यह एक गोल चक्कर पर स्थित नहीं था, यह शायद हुमायूं के मकबरे के आसपास के एक बगीचे का एक हिस्सा था. यह अफसोस की बात है कि लोग आसानी से स्मारक तक नहीं पहुंच सकते हैं, लेकिन इससे एक लाभ भी है क्योंकि कम लोगों के आने का मतलब है कि बहुत सारा काम बेहतर तरीके से संरक्षित हैं.’

हुमायूं के मकबरे को देखने आयीं हेरिटेज वॉक क्यूरेटर निष्ठा जोशी ने कहा कि लोगों को ऐसे स्मारकों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है क्योंकि दिल्ली सिर्फ कुतुब मीनार और लाल किला तक सीमित नहीं है.

दिप्रिंट को उन्होंने बताया, ‘मैं वास्तव में निजामुद्दीन बस्ती क्षेत्र के युवा छात्रों के साथ एक दौरे की योजना बना रही हूं, जिसमें सब्ज़ बुर्ज भी शामिल है. मुझे याद है कि जब 2018 में पहली बार सुंदर नर्सरी आई थी, तो यह इतना प्रचारित नहीं था. मुझे यकीन है, यह स्मारक हो या अब्दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा, अगर हम पर्याप्त जागरूकता पैदा करेंगे तो और लोग आएंगे.’


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जीर्णोधार कार्य

यह गुंबद 20 वीं शताब्दी में एक पुलिस स्टेशन के रूप में उपयोग होता था, जिसके दौरान मरम्मत और खराब संरक्षण प्रयासों के कारण इसका अधिकांश वास्तुशिल्प चरित्र खो गया था. इसे नुकसान और बर्बरता का भी सामना करना पड़ा, और इसे किसने बनाया इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

एक मकबरे में आमतौर पर एक कब्र होती है, लेकिन सब्ज़ बुर्ज में ऐसा नहीं लगता. बहाली के काम ने आश्चर्यजनक रूप से शुद्ध सोने और अन्य तत्वों के बीच लैपिस में एक मुद्रित छत का खुलासा किया है, जिसे भारत में किसी भी स्मारक की सबसे पुरानी जीवित चित्रित छत भी माना जाता है.

मेनन कहती हैं, ‘यहां पर जो सजावट देखी जा सकती है- चित्रित छत, आठ पहलुओं में से प्रत्येक पर अलग-अलग नक्काशीदार प्लास्टर पैटर्न और सुंदर टाइल का काम- ऐसा कई ऐतिहासिक स्मारकों में नहीं देखा गया है. आमतौर पर इन तीनों पहलुओं को नहीं देखते हैं. यह इंगित करता है कि यह संभवतः मुगल दरबार में किसी बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति के लिए बनाया गया था.’

सब्ज़ बुर्ज के छत की पेंटिंग | फोटो: उन्नति शर्मा

बहाली के काम में 20वीं सदी की सीमेंट की परतों को हटाना, 16वीं सदी की टाइलों के भौतिक और रासायनिक गुणों से मेल खाने वाली टाइलवर्क और मूल टाइलों को बनाए रखना शामिल था.

बुर्ज के चारों ओर एक छोटा सा बगीचा है, जो आगंतुकों के लिए हमेशा खुला नहीं रहता है.

बुर्ज के ठीक सामने एक पान ठेला चलाने वाले निजामुद्दीन बस्ती की रहने वाली शाहाना खान को उम्मीद है कि इस ढांचे की जगमगाती रौशनी रात में और आने वालों को आकर्षित करेगी.

उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से रात में कुछ कारें तस्वीरें लेने के लिए रुकती हैं. जब वे बाहर निकलते हैं तो हमसे भी कुछ खरीदते हैं. दिन में ज्यादा लोग नहीं आते हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि इससे रात में और लोग यहां आएंगे और हमारे ग्राहक भी बढ़ेंगे.’

रात में सब्ज़ बुर्ज एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह दिखता है, और चलते हुए ट्र्रैफिक के बीच इस बात का प्रतीक है कि दिल्ली अपने कई निवासियों के लिए क्या मायने रखता है- यह एक क्रूर लेकिन एक खूबसूरत बात की याद दिलाता है कि यह शहर इतनी उपेक्षा और बर्बादी के बीच भी कैसे फला-फूला.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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