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एक दिन में कोविड-19 के 69,652 आए नए मामले, 28 लाख के पार हुई संक्रमितों की संख्या

आईसीएमआर की एक संसदीय समिति से कहा कि देश में विकसित किये जा रहे कोविड-19 रोधी दो टीकों के दूसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण लगभग पूरा हो गया है और केंद्र सरकार के फैसला करने पर किसी टीके को आपात मंजूरी देने पर विचार किया जा सकता है.

नई दिल्ली में स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 जांच के लिए सैंपल लेते हुए, फाइल फोटो | फोटो: सूरड सिंह बिष्ट | दिप्रिंट
कोविड-19

नई दिल्ली: देश में बुधवार को कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 28 लाख को पार कर गई है. पिछले 24 घंटे में 69, 652 नए मामले सामने आए, जो एक दिन में आने वाला अब तक का सबसे अधिक मामला है. इन सब के बीच अच्छी बात यह है कि संक्रमण से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या करीब 21 लाख हो गई है और जांच में भी तेजी दर्ज की गई है.

आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटे कोरोना संक्रमण के लिए नौ लाख से अधिक लोगों की जांच की गई है. और इनमें पॉजिटिविटी रेट भी आठ फीसदी से कम दर्ज की गई है.

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार देशभर में 6,86,395 लोगों का इलाज चल रहा है जबकि 20,96,665 लोग स्वास्थ्य लाभ लेकर अपने घर वापस जा चुके हैं.  हालांकि मरने वालों की संख्या 53,866 हो चुकी है.


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टीके को आपात मंजूरी देने पर विचार किया जा सकता है

बता दें कि उधर देश में विकसित किए जा रहे कोविड-19 के टीकों का दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल लगभग पूरा हो गया है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को एक संसदीय समिति से कहा कि देश में विकसित किये जा रहे कोविड-19 रोधी दो टीकों के दूसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण लगभग पूरा हो गया है और केंद्र सरकार के फैसला करने पर किसी टीके को आपात मंजूरी देने पर विचार किया जा सकता है.

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आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों को सूचित किया कि भारत बायोटेक, कैडिला और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित टीके परीक्षण के विभिन्न स्तर पर हैं. बैठक में मौजूद एक सांसद ने यह जानकारी दी.

भारत बायोटेक और कैडिला द्वारा विकसित किये जा रहे टीकों का दूसरे चरण का परीक्षण लगभग पूरा होने वाला है.

सांसद ने बताया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके के विकास का काम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया संभाल रही है और इस हफ्ते के अंत में इसका दूसरे चरण के दूसरे हिस्से का परीक्षण शुरू हो जाएगा. इसके लिए देशभर के 17 केंद्रों में 1,700 मरीजों को चिह्नित किया गया है.

बैठक में शामिल हुए सांसदों के अनुसार जब भार्गव से पूछा गया कि लोगों को कितने समय तक महामारी के साथ रहना होगा तो उन्होंने जवाब दिया कि सामान्यत: अंतिम परीक्षण में छह से नौ महीने लगते हैं लेकिन अगर सरकार फैसला करे तो आपात स्थिति में स्वीकृति प्रदान करने पर विचार किया जा सकता है.

अमेरिका में कोरोना वायरस का तेजी से पता लगाने के लिए एफडीए द्वारा स्वीकृत सलाइवा जांच के बारे में समिति के सवालों के जवाब में भार्गव ने कहा कि गरारे के पानी से लार के नमूने लेने पर पहले ही विचार चल रहा है और जल्द ही आगे का ब्योरा साझा किया जाएगा. बैठक में भाग लेने वाले एक अन्य सांसद ने यह जानकारी दी.


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संसदीय समिति में सभी दलों के सदस्यों ने महामारी से निपटने में विशेष रूप से आईसीएमआर की भूमिका और सामान्य रूप से पूरे चिकित्सा समुदाय की भूमिका की सराहना की.

बैठक की अध्यक्षता समिति के प्रमुख, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने की. बैठक चार घंटे से अधिक समय तक चली और इसमें महामारी से निपटने के अनेक पहलुओं पर चर्चा हुई.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के सचिव अरविंद कुमार शर्मा भी समिति के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र पर महामारी के प्रभाव के बारे में जानकारी दी.

 

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