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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच 55 प्रतिशत नागरिक चुनाव स्थगित कराने के पक्ष में: सर्वे में दावा

LocalCircles द्वारा किए गए सर्वे में कहा गया है कि जो लोग देरी चाहते हैं, उनमें से 30% 1-2 महीने के लिए स्थगित करने का समर्थन करते हैं जबकि 25% 4 महीने तक के स्थगन को पसंद करते हैं.

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फोटो- साभार चुनाव आयोग

 नई दिल्ली: देश भर में बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच 55 प्रतिशत नागरिकों ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को स्थगित करने की बात कही है. इससे पहले 31 प्रतिशत लोगों ने यह कहा था जिसके दो हफ्ते बाद नया सर्वे हुआ जिसमें इसका खुलासा किया गया है.

कम्यूनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल द्वारा किए गए एक सर्वे में कहा गया है कि जो लोग देरी चाहते हैं, उनमें से 30 प्रतिशत ऐसे हैं जो एक-दो महीने के लिए मतदान कों स्थगित करने का समर्थन करते हैं, जबकि 25 प्रतिशत चार महीने तक के स्थगन को पसंद करते हैं.

यह सर्वे 9 जनवरी को किए गए सर्वे के फॉलो-अप के रूप में किया गया. जिसे 8 जनवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के चुनावी राज्यों में रैलियों और रोड शो करने से राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने के बाद आयोजित किया गया था.

लोकरसर्किल सर्वे में कहा गया, ‘चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी करने के बाद कई नागरिकों ने लोकल सर्किल पर अपने विचार साझा किए. और अपनी चिंताओं के बारे में बताया. 9 जनवरी को किए सर्वे में 31 प्रतिशत नागरिक इन राज्यों में चुनावों को पूरी तरह स्थगित करने के पक्ष में थे.’

सर्वेक्षण में देश भर के 292 जिलों के लोगों से 10,310 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें से 69 प्रतिशत पुरुष थे. इसके अलावा, चुनाव वाले पांच राज्यों के निवासियों से 3,928 प्रतिक्रियाएं आईं.

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जब सर्वे में पूछा गया कि मतदान वाले राज्यों में 40 प्रतिशत जिलों में बढ़े पॉजिटिविटी रेट के लिए उपयुक्त प्रतिक्रिया क्या तो कुल 55 प्रतिशत ने कहा कि इसके लिए चुनावों को स्थगित कर देने चाहिए. जबकि 41 प्रतिशत ने कहा चुनाव 10 फरवरी से 10 मार्च के बीच निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होने चाहिए.

लोकलसर्किल ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि जैसे-जैसे चुनाव वाले जिलों में कोविड मामलों की सकारात्मकता दर बढ़ रही है, वैसे ही उन लोगों की संख्या में 75% से अधिक की वृद्धि देखी गई है, जो 5 राज्यों के चुनावों को स्थगित करने का समर्थन करते हैं.’

लोकलसर्किल के संस्थापक सचिन टापरिया ने भी विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव अवधि के दौरान सामूहिक समारोहों से न केवल ‘स्थिति बिगड़ेगी’ बल्कि अंततः मतदाता मतदान में भी कमी आएगी, इसलिए चुनाव स्थगित करने से ‘दोनों मुद्दों’ का समाधान होगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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