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अमित शाह के ‘मेड इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के 5 महीने बाद भी CAPF कैंटीन्स नहीं हुईं पूरी तरह स्वदेशी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मोदी सरकार के बढ़ावे के तहत सीएपीएफ कैंटीन्स में केवल स्वदेशी वस्तुएं बेची जाएंगी.

सीआरपीएफ के जवान | प्रतीकात्मक तस्वीर | एएनआई

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस घोषणा के पांच महीने बाद कि ‘आत्मनिर्भर’ भारत की पहल के तहत एक जून से देश भर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएएफ) की सभी कैंटीन्स पर केवल स्वदेशी वस्तुएं बेची जाएंगी, इस प्रस्ताव पर अभी तक अमल नहीं हुआ है.

सरकार में कुछ अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन ने इस आदेश को लागू करने के लिए अभी तक कोई रणनीति नहीं बनाई है लेकिन सीएपीएफ के मामलों को देखने वाले गृह मंत्रालय (एमएचए) के एक अधिकारी ने दावा किया कि ये प्रक्रिया चल रही है.

एक सरकारी सूत्र के मुताबिक, संबंधित अधिकारी अभी तक उन वस्तुओं की सूची नहीं बना पाए हैं जो इन कैंटीन्स में बेची या बंद की जाएंगी, चूंकि इस दिशा में ‘कोई काम नहीं हो रहा है’.

सूत्र ने कहा, ‘कोई इस बारे में बात ही नहीं कर रहा है. उस मोर्चे पर अभी कोई प्रगति नहीं है’.

लेकिन गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि ‘एक सूची जारी करने की प्रक्रिया चल रही है’ लेकिन उन्होंने विस्तार में जाने से मना कर दिया. उन्होंने आगे कहा, ‘प्रक्रिया चल रही है. इन चीज़ों में समय लगता है’.

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इस प्रक्रिया को समझाते हुए सूत्र ने कहा, ‘कंपनियों को उन चीज़ों की लिस्ट घोषित करनी पड़ेगी, जो वो भारत में बेचने के लिए बाहर से आयात करती हैं और उन चीज़ों की भी जिनके लिए वो कच्चा माल आयात करती हैं. उनकी ओर से ये काम हो जाने के बाद सूची का अध्ययन करके कोई फैसला लिया जाएगा.

सूत्र ने ये भी कहा, ‘ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं और हम उनके साथ समन्वय कर रहे हैं’.

प्रस्ताव की स्थिति का पता लगाने के लिए दिप्रिंट ने टेक्स्ट और फोन कॉल के ज़रिए एमएचए से संपर्क किया लेकिन प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की.


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कोई नई सूची नहीं

सीएपीएफ में जो बल आते हैं वो हैं- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ).

एक जून को, एमएचए के अंतर्गत आने वाली इकाई- केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी), जो सेवानिवृत्त और सेवारत सक्रिय सीएपीएफ कर्मियों के कल्याण का काम काम देखती है- के उप-महानिरीक्षक मुख्यालय ने एक आदेश जारी करके सीएपीएप कैंटीन्स की 1,2026 ‘आयातित वस्तुओं’ को सूची से हटाकर उनकी बिक्री बंद कर दी.

उस सूची में बजाज के बिजली उपकरण, नेस्ले का खाद्य पदार्थ, प्रेस्टीज कुकवेयर और मेबेलीन कॉस्मेटिक्स शामिल थीं.

लेकिन एमएचए ने उस आदेश को वापस ले लिया, चूंकि सूची में बहुत सी ‘भारत में निर्मित’ वस्तुएं शामिल थीं और उसे ‘वरिष्ठों से सलाह मश्विरा किए बिना’ जारी किया गया था.

डीआईजी आरएम मीणा को उनके पद से हटा दिया गया और उन्हें लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया.

एक सरकारी अधिकारी ने उस समय दिप्रिंट से कहा था कि सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद, एमएचए की ओर से वस्तुओं की एक संशोधित सूची जारी की जाएगी. लेकिन वो ताज़ा आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है.


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‘कंपनियों की तीखी प्रतिक्रिया’

सरकार के एक तीसरे अधिकारी ने कहा कि एक जून की लिस्ट कई कंपनियों की तीखी प्रतिक्रिया के चलते वापस ली गई, जिनके उत्पाद बिना विचार-विमर्श के सूची से हटा दिए गए थे.

सूत्र ने कहा कि सीएपीएफ कैंटीन्स में, साल भर में तकरीबन 2,800 करोड़ रुपए की बिक्री हो जाती है और लिस्ट से बाहर होने से कंपनियों का कारोबार प्रभावित हो सकता था.

सूत्र के अनुसार, नई सूची तैयार करने में समय लग रहा है क्योंकि संबंधित अधिकारी को बहुत सारी कंपनियों से संपर्क करना पड़ता है और ज़रूरी मंज़ूरियां लेनी पड़ती हैं.

एक चौथे सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पिछली सूची में कुछ वस्तुएं ऐसी भी थीं जो भारत में बनीं थीं, इसलिए उसे वापस लेना पड़ा. अब कंपनियों से स्वयं अपनी सूची घोषित करने को कहा गया है. एक बार वो हो जाए तो फिर सूचियों की जांच करके फैसला ले लिया जाएगा’.

सीएपीएफ कैंटीन्स को स्वदेशी बनाने के सरकार के कदम का ऐलान करते हुए शाह ने लोगों से आग्रह किया था कि वो ऐसी चीज़ें इस्तेमाल करें जो भारत में बनी हों. उन्होंने कहा था, ‘आईए, हम सब मिलकर स्वदेशी वस्तुएं इस्तेमाल करें और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के इस सफर में पीएम मोदी के हाथ मज़बूत करें’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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