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पढ़ाई के दबाव में हर दिन चार स्कूली छात्र कर लेते हैं आत्महत्या

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि 2015 में कुल 8,934 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जो कि 2014 की संख्या 8,068 से ज्यादा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर/फोटो-यूएनडीपी

नई दिल्ली: संसद में साझा किए गए नये सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहने के कारण 2015 में औसतन चार स्कूली छात्रों की मौत हुई है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल 2,543 छात्रों में 18 वर्ष (स्कूल के छात्र) की आयु से कम के 1,360 छात्र और 18-30 आयु वर्ग (उच्च शिक्षा) के 1,183 छात्रों ने परीक्षाओं में अच्छा करने के बढ़ते दबाव के कारण 2015 में आत्महत्या कर ली थी.

हालांकि, परीक्षा में असफलता के कारण आत्महत्या का आंकड़ा सबसे कम है. परीक्षा में असफलता और बेरोजगारी का आंकड़ा एक समान है. यह मात्र 2 प्रतिशत है. यह आंकड़ा पारिवारिक समस्याओं (27 प्रतिशत) या गरीबी, शारीरिक शोषण और पेशेवर मुद्दों (26 प्रतिशत) जैसे अन्य कारणों से काफी कम है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या के आंकड़ों के अनुसार 2015 में विभिन्न कारणों से आत्महत्या करने वाले छात्रों की कुल संख्या 8,934 थी, जो 2014 के (8,068) आंकड़ों की तुलना में अधिक थी. 2016 में यह आंकड़ा फिर से बढ़ गया. इस साल कुल 9,474 छात्रों ने आत्महत्या की.

परामर्श के लिए किए गए उपाय

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अपनाए गए विभिन्न उपायों के बावजूद विशेष रूप से स्कूली छात्रों की आत्महत्या करने वालों में संख्या अधिक रही है.

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘स्कूलों में काउंसलरों को आमंत्रित करके नियमित परामर्श सत्र आयोजित किए जाते हैं जहां पर छात्र अशांत अवस्था में पाए जाते हैं. बच्चों के बीच गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं के मामले में, मनोचिकित्सक व्यवहार परिवर्तन और विशिष्ट परामर्शदाताओं द्वारा इस तरह के व्यवहार के कारणों की पहचान करने में लगे हुए हैं.

इसके अलावा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सर्कुलर्स के माध्यम से यह भी कहा है कि सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्तरों में एक शैक्षिक सत्र में प्रत्येक छात्र को मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान किया जाता है. बोर्ड ने एक बच्चे की स्कूली शिक्षा के दौरान सभी स्तरों पर पूर्णकालिक काउंसलर की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया है.

2017-18 के सत्र के दौरान 46.58 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को आवंटित की गई थी, ताकि वे सरकारी स्कूलों को मार्गदर्शन और परामर्श गतिविधियों को सुचारु रूप से चला सकें.

नवोदय विद्यालय समिति, जो जवाहर नवोदय विद्यालय चलाती है, ग्रामीण भारत में प्रतिभाशाली छात्रों के लिए वैकल्पिक स्कूलों की एक प्रणाली है. शिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है. जहां शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशिक्षण दिए जाते हैं. ये सत्र बच्चों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति की पहचान करने और निवारक कदम उठाने के लिए भी होते हैं.

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