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MP में हर महीने 10 हजार कमाने वाले सरकारी स्कूल टीचर के यहां छापे में ‘4 कालेज, 4 आलीशान घर’ मिले

ग्वालियर में बहुमंजिला घरों के अलावा प्रशांत परमार कथित तौर पर 4 कॉलेज भवन, 2 मैरिज हॉल और एक कॉमर्शियल परिसर में एक दफ्तर के मालिक हैं और एक निजी स्कूल भी चलाते हैं.

एमपी में आर्थिक अपराध शाखा का हेडक्वाटर्स | Credit: mp.gov.in

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में गुप्त सूचना के आधार पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की तरफ से की गई छापेमारी में कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है.

जांचकर्ताओं की एक टीम ने शनिवार को ग्रामीण महाराजपुरा स्थित एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक प्रशांत परमार के स्वामित्व वाली चार भव्य आवासीय संपत्तियों और अन्य प्रतिष्ठानों पर छापा मारा.

ईओडब्ल्यू सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 2006 से इस स्कूल में पढ़ा रहे परमार इस नौकरी से लगभग 10,400 रुपये प्रति माह कमाते हैं, लेकिन ग्वालियर शहर में उनके पास करोड़ों की संपत्ति है.

उन्होंने आगे बताया कि एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले 40 वर्षीय परमार के पास ग्वालियर में चार बहुमंजिला इमारतों के अलावा दो मैरिज हॉल और शहर के एक व्यावसायिक परिसर में एक कार्यालय है. वह एक निजी स्कूल भी चलाते हैं.

ईओडब्ल्यू सूत्रों ने आगे बताया कि परमार ग्वालियर से एक घंटे की दूरी पर स्थित नूराबाद में अपने चार कालेज भवनों में नर्सिंग और बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) की कक्षाएं लेकर भी कमाई करते हैं. उन्होंने कहा कि परमार के भाइयों के भी ग्वालियर में स्कूल चलते हैं.

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उनके घरों के अलावा कालेज की इमारतों, ऑफिस और मैरिज हॉल में भी छापेमारी की गई. जानकारी के मुताबिक उनके एक घर में 36 लाख रुपये के आभूषण मिले, जबकि 7.5 लाख रुपये नकद मिले.

पुलिस अधीक्षक (एसपी), ईओडब्ल्यू, ग्वालियर बिट्टू सहगल ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि इन कालेजों को मान्यता हासिल है या नहीं. और यह भी पता लगाया जा रहा कि वह किस आधार पर छात्रों को दाखिला दे रहे थे. हम उसकी आय के स्रोतों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.’

सरकारी शिक्षक के तौर पर अपनी नौकरी से परमार की 16 साल की संचित आय लगभग 20 लाख रुपये है, लेकिन ईओडब्ल्यू ने 2.13 करोड़ रुपये की संपत्ति की पुष्टि की है. अधिकारियों ने कहा कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है.

जानकारी के मुताबिक छापेमारी के दौरान परमार का घर बंद मिला था.


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क्या थी कार्यप्रणाली

मध्य प्रदेश में पंजीकृत शिक्षा समितियों के जरिये निजी कालेज स्थापित किए जा सकते हैं. माना जा रहा है कि मामले की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि परमार ऐसी कई सोसाइटी के चेयरमैन हैं. जांचकर्ताओं को संदेह है कि कालेज चलाने के लिए यही उनकी कार्यप्रणाली हो सकती है.

हालांकि, राज्य के कानूनों के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी होने के नाते वह बिना अनुमति निजी व्यवसाय नहीं कर सकते हैं. ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘निजी व्यवसाय की अनुमति लेने के लिए राज्य की तरफ से नियम-कायदे तय हैं, और परमार ने ऐसा नहीं किया था.’

ऐसी अनुमति मांगते समय, सरकारी अधिकारियों को अपनी आय का स्रोत घोषित करना होता है.

जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या परमार ने अपने भाइयों या परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से संपत्ति जमा की है.

ईओडब्ल्यू एसपी सहगल ने कहा, ‘अगर आपको संपत्ति खरीदनी है तो सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपनी आय का स्रोत दिखाते हुए सरकार से अनुमति लेनी होगी. अगर संपत्तियां परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी जाती हैं, तो भी इस अनुमति की आवश्यकता होती है. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या परमार खरीदी गई संपत्ति कानूनी तौर पर वैध है या नहीं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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