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3 करोड़ असंगठित श्रमिकों के डेटाबेस में 48% महिलाएं, 55% के पास आधार से जुड़े खाते नहीं

डेटा भी बताता है कि करीब तीन करोड़ श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 55.77% के पास आधार से जुड़े बैंक खाते नहीं हैं.

फाइल फोटो: मार्च 2020 में प्रवासी श्रमिकों के समूह दिल्ली-गाजियाबाद सीमा की ओर जाता हुआ/ सूरज सिंह बिष्ट/ दिप्रिंट

नई दिल्ली: भारत में पहली बार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के लिए अगस्त में लॉन्च पोर्टल ई-श्रम पर तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने पंजीकरण कराया है. पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों और श्रम ब्यूरो की तरफ से इसके विश्लेषण से पता चलता है कि इसमें करीब आधी महिलाएं हैं.

8 अक्टूबर तक अनौपचारिक क्षेत्र के करीब तीन करोड़ श्रमिकों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, उनमें से 48.84 फीसदी महिलाएं हैं जबकि 51.16 प्रतिशत पुरुष हैं. अनुमान के मुताबिक, भारत में अनौपचारिक क्षेत्र का कार्यबल 38 करोड़ से अधिक है.

श्रम मंत्रालय की तरफ से 26 अगस्त को लॉन्च किए गए ई-श्रम पोर्टल का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का ब्योरा जुटाना जैसे उनकी मौजूदा स्थिति क्या है, किस काम में कुशल है, परिवार की जानकारी, पता, और प्रवासी श्रमिकों के मामले में यह पता लगाना कि इस समय वह कहां पर है और एक समेकित और व्यापक स्तर पर औपचारिक से अनौपचारिक क्षेत्र में उनके जाने की स्थिति क्या है.

कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान उपजे प्रवासी श्रमिक संकट को देखते हुए राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने की जरूरत महसूस की गई थी, जब देशव्यापी लॉकडाउन के कारण हजारों की संख्या में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को अपनी आजीविका खोने के बाद अपने मूल स्थानों पर वापस जाते देखा गया था.

नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिकों के लिए मुफ्त राशन और नकद हस्तांतरण सहित कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की. लेकिन सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में से तमाम लोग यह लाभ पाने से वंचित थे क्योंकि सरकार के पास उनके ठिकाने या देश में प्रवासी श्रमिकों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए कोई स्पष्टा डाटा नहीं था.

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हालांकि, पोर्टल शुरू होने के बाद से जितने पंजीकरण हुए हैं, उनमें से केवल 2.77 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक हैं. पंजीकरण कराने वालों में आधे से अधिक (1.67 करोड़) कृषि क्षेत्र से जुड़े श्रमिक हैं, इसके बाद निर्माण श्रमिक (42 लाख) और घरेलू और घरेलू कामगार (22 लाख) हैं.

इस बीच, अब तक सबसे अधिक पंजीकरण कराने वाले शीर्ष पांच राज्यों में ओडिशा (73 लाख), पश्चिम बंगाल (54 लाख), बिहार (50 लाख), उत्तर प्रदेश (44 लाख) और मध्य प्रदेश (12.9 लाख) हैं.

श्रम अर्थशास्त्री के.आर. श्याम सुंदर ने कहा, ‘हालांकि, ये शुरुआती समय हैं पंजीकरण की गति कई गुना बढ़ाने की जरूरत है. प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण की संख्या कम होना पोर्टल के संबंध में सूचना के अभाव का संकेत हो सकती है. सरकार को इसके बारे में व्यापक स्तर पर जानकारी मुहैया करानी चाहिए. प्रधानमंत्री अपने मन की बात में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण के महत्वपूर्ण मुद्दे को क्यों नहीं उठाते?’

हालांकि, जमशेदपुर में जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (एक्सएलआरआई) में मानव संसाधन प्रबंधन के प्रोफेसर सुंदर ने कहा कि पोर्टल पर पंजीकरण कराने वालों में करीब आधी महिला श्रमिक होने का ट्रेंड ‘उत्साहजनक’ है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘इसके लिए आंशिक तौर पर सेवा (स्व-रोजगार महिला संघ) जैसे संगठनों को श्रेय दिया जा सकता है, जो सामान्य रूप से असंगठित श्रमिकों और विशेष रूप से महिलाओं के लिए पर्याप्त कानूनी ढांचे की मांग में सबसे आगे रहते हैं.’


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55% पंजीकृत श्रमिकों के पास आधार से जुड़े बैंक खाते नहीं

ई-श्रम पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि लगभग तीन करोड़ श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 55.77 प्रतिशत के पास आधार से जुड़े बैंक खाते नहीं हैं.

गरीबों को लक्षित विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत नकद लाभार्थी के खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए खाते का आधार प्रमाणीकरण जरूरी है.

अब तक पोर्टल पर पंजीकृत 44.23 प्रतिशत श्रमिकों के बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं. कुल मिलाकर, 66.49 प्रतिशत श्रमिकों ने अपने बैंक खातों का ब्योरा दिया है.

नाम न बताने की शर्त पर श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि अभी शुरुआती समय है और जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी और लोगों को पंजीकरण के लाभों के बारे में पता चलेगा, वे सुनिश्चित करेंगे कि उनके बैंक खाते आधार से जुड़े हों.

लेकिन सुंदर ने कहा कि आधार से जुड़े बैंक खातों की कमी ‘आधार कवरेज पर्याप्त न होने का संकेत देती है.’

सुंदर ने कहा, ‘अगर तीन करोड़ श्रमिकों में से 55 प्रतिशत के बैंक खाते आधार से जुड़े नहीं हैं तो मूल रूप से इसका मतलब यह है कि उनके पंजीकरण कराने का कोई फायदा नहीं है. सरकार लाभार्थियों के खाते में कैश कैसे ट्रांसफर करेगी?’

पोर्टल में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से असंगठित क्षेत्र को लक्षित करके विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों और कल्याणकारी योजनाओं का पूरा ब्योरा होगा. अंतत: जब पंजीकरण प्रक्रिया तेज हो जाएगी तो सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को पोर्टल से जोड़ देगी और कोई भी श्रमिक ऑनलाइन पंजीकरण और आवेदन करके इन योजनाओं का लाभ उठा सकेगा.

कुल मिलाकर, अब तक पंजीकृत श्रमिकों में से 91.5 प्रतिशत की आय 10,000 रुपये से कम है.

43 फीसदी ओबीसी, 22.9% एससी श्रमिको ने पंजीकरण कराया

पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले श्रमिक विभिन्न सामाजिक श्रेणियों से संबंधित हैं, जिनमें से 43 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) हैं. जबकि 22.93 प्रतिशत श्रमिक अनुसूचित जाति, 6.83 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 27 प्रतिशत सामान्य वर्ग के हैं.

विभिन्न आयु समूहों में 62 प्रतिशत श्रमिक 18-40 आयु वर्ग के हैं, इसके बाद 21.99 प्रतिशत 40-50 आयु वर्ग के हैं.

यह पोर्टल चलाने वाले श्रम मंत्रालय का लक्ष्य मार्च 2022 तक भारत के 38 करोड़ से अधिक अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीकरण कराने का है.

श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम गति बढ़ा रहे हैं और एक दिन में 25 लाख श्रमिकों के पंजीकरण का इरादा रखते हैं. हमारा लक्ष्य है कि मार्च 2022 तक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की जितनी भी अनुमानित संख्या है, उनका पंजीकरण पूरा हो जाए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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