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PM मोदी को 116 पूर्व नौकरशाहों ने लिखा पत्र, मुफ्त टीकाकरण और टेस्टिंग बढ़ाने को कहा

पत्र में कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों के निराकरण के बजाय कोविड संकट के प्रभावी प्रबंधन के विमर्श को लेकर अधिक चिंतित है.

प्रतीकात्मक तस्वीर/26 अप्रैल को कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के इंतजार में खड़े लोग/पीटीआई

नई दिल्ली: पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर कहा कि केंद्र सरकार को सभी भारतीय नागरिकों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण मुफ्त में करना चाहिए तथा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आरटी-पीसीआर जांच बढ़ानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों के निराकरण के बजाय कोविड संकट के प्रभावी प्रबंधन के विमर्श को लेकर अधिक चिंतित है.

इस पत्र पर पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व स्वास्थ्य सचिव के सुजाता राव, पूर्व विदेश सचिव एवं पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह और दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग सहित 116 पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किए हैं.

पत्र में कहा गया, ‘हम जानते हैं कि इस महामारी ने पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा किया है और भारत के नागरिक भी अछूते नहीं रहेंगे.’

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि आम नागरिक जिस प्रकार चिकित्सा सहायता के लिए क्रंदन कर रहे हैं और मृतकों की संख्या हजारों में पहुंच रही है, वहीं इस भारी संकट के बावजूद आपकी सरकार का लापरवाह नज़रिया सामने आ रहा है. इसका भारतीयों के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर जो प्रभाव पड़ रहा है, ‘उसके बारे में सोच-सोच कर हमारा दिमाग सुन्न हो रहा है.’

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पत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारतीय वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद पहली और दूसरी लहर के बीच मिले समय का इस्तेमाल अहम संसाधनों जैसे चिकित्सा कर्मी, अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन आपूर्ति, वेंटिलेटर, दवाएं एवं अन्य चिकित्सा आपूर्ति जुटाने में नहीं किया गया.

कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) के बैनर तले जारी पत्र में कहा गया, ‘इससे भी अधिक अक्षम्य है कि टीकों का पर्याप्त भंडार जमा करने की पूर्व में योजना नहीं बनाई गई जबकि भारत दुनिया के अहम टीका आपूर्तिकर्ताओं में एक है.’


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