जयपुर, सात मई (भाषा) विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं और जैन भिक्षुओं का एक समूह अजमेर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण वाले स्मारक ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ पहुंचा और दावा किया कि यह स्मारक पहले संस्कृत विद्यालय था। उनका कहना था कि विद्यालय से पहले उस जगह जैन मंदिर था।
सुनील सागर महाराज के नेतृत्व में ये भिक्षु फवारा सर्किल से दरगाह बाजार होते हुए स्मारक पहुंचे। उनके अनुसार अढ़ाई दिन का झोंपड़ा पहले संस्कृत विद्यालय था। उससे भी पहले यह एक जैन मंदिर था।
अजमेर नगर निगम के उप महापौर नीरज जैन ने कहा कि जैन भिक्षुओं का मानना है कि वहां संस्कृत विद्यालय से पहले एक जैन मंदिर था।
जैन ने कहा, ‘हमने पहले भी मांग की है कि स्मारक का पुनर्विकास किया जाए और इसके पुराने गौरव को बहाल किया जाना चाहिए। स्मारक में मूर्तियां हैं जिन्हें स्टोर रूम में रखा गया है।’
एएसआई की वेबसाइट के अनुसार यह स्मारक दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1199 ईस्वी में बनवाई गई मस्जिद है जो दिल्ली की कुतुब मीनार परिसर में बनी दूसरी मस्जिद के समकालीन है। हालांकि विभाग ने सुरक्षा उद्देश्यों के लिए परिसर के बरामदे में बड़ी संख्या में मंदिरों की मूर्तियां रखी हैं, जो लगभग 11वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान इसके आसपास एक हिंदू मंदिर के अस्तित्व को दर्शाती हैं।
यहां ढाई दिनों तक मेला लगता था जिसके कारण ही संभवत: मंदिरों के खंडित अवशेषों से निर्मित इस मस्जिद को ‘अढाई दिन का झोंपड़ा’ के नाम से जाना जाता है।
भाषा पृथ्वी
राजकुमार
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