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यक्षगान कलाकार सुब्रह्मण्य धारेश्वर का हुआ निधन

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

कुंदापुर (कर्नाटक), 25 अप्रैल (भाषा) अपनी मखमली आवाज के लिए ‘भगवत श्रेष्ठ’ के नाम से चर्चित यक्षगान कलाकार सुब्रह्मण्य धारेश्वर का 67 वर्ष की उम्र में बृहस्पतिवार को बेंगलुरु में निधन हो गया।

परिवार के सूत्रों ने बताया कि वह बीमार थे और आज सुबह बेंगलुरु में बेटे के घर पर उन्होंने अंतिम श्वांस ली।

उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी हैं।

बडगुथिट्टू संस्करण में यक्षगान को अनोखे रूप में पेश कर इसकी लहर पैदा करने वाले कलिंग नवादा के निधन के बाद सुब्रह्मण्य धारेश्वर ने इस कला को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

तटीय कर्नाटक की एक अनूठी नृत्य कला यक्षगान के लिए धारेश्वर ने अपने जीवन के 46 वर्ष समर्पित किए। यक्षगान पारंपरिक लोक नृत्य का एक रूप है जो कर्नाटक के तटीय जिलों और केरल के कासरगोड जिले में लोकप्रिय है। नृत्य, गायन और नाट्य कला की यह संयुक्त शैली केरल की थेय्यम कला से मिलती-जुलती है।

धारेश्वर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि यक्षगान कला के क्षेत्र में ‘भगवत श्रेष्ठ’ का योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

भाषा

प्रीति मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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