कोलकाता, 12 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल के आवास मंत्री एवं कोलकाता के महापौर फिरहाद हाकिम ने बृहस्पतिवार को बऊबाजार क्षेत्र का दौरा किया, जहां कई मकानों में दरारें आ गई हैं। उन्होंने इसके लिए कोलकाता मेट्रो रेलवे निगम (केएमआरसी) को जिम्मेदार ठहराया है।
हाकिम ने दावा किया कि दुर्गा पिटुरी लेन की इमारतों में दरारें ढाई साल पहले सुरंग निर्माण के काम के दौरान हुई दुर्घटना से प्रभावित क्षेत्र में संभवत: मिट्टी के निरंतर निपटान के कारण आई हैं।
महापौर ने प्रभावित इलाके की यात्रा के दौरान पत्रकारों से कहा, ‘‘केएमआरसी की ओर से कुछ गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाया गया था। वर्ष 2019 में दुर्घटना के बाद एक बैठक के दौरान केएमआरसी ने कहा था कि वह इस इलाके में इंजीनियरिंग से संबंधित सभी कार्य करेगी।’’
पूरब पश्चिम मेट्रो परियोजना के लिए जिम्मेदार एजेंसी केएमआरसी पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए हाकिम ने कहा कि उसे इमारतों में दरारें आने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए थी।
केएमआरसी ने कहा कि उसकी प्राथमिकता इमारतों में और दरारें रोकने की है और दुर्गा पिटुरी लेन में कम से कम पांच क्षतिग्रस्त मकानों के 21 परिवारों के 82 लोगों को पास के होटल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
केएमआरसी के महाप्रबंधक (प्रशासन) एके नंदी ने कहा कि इंजीनियर बुधवार रात से प्रभावित क्षेत्र के नीचे से गुजरने वाली मेट्रो सुरंगों में काम कर रहे हैं और उनके आकलन के बाद ही दरारों के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘हम दरारों के कारणों का आकलन कर रहे हैं और क्षेत्र में और इमारतों को नुकसान से बचाने के लिए काम कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य प्राथमिकता अब प्रभावित घरों और क्षेत्र की अन्य इमारतों में किसी भी तरह की दरार को रोकना है।’’
महापौर ने कहा कि कोलकाता नगर निगम के भवन निर्माण विभाग के महानिदेशक के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ टीम नुकसान का आकलन करेगी।
उन्होंने कहा कि डीजी भवन कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के साथ बैठक करेगा और क्षेत्र में मकानों की स्थिति का पता लगाएगा।
उन्होंने कहा, ”भवन निर्माण विभाग के महानिदेशक के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति अपना मूल्यांकन तुरंत शुरू कर देगी। कुछ कदम तत्काल उठाए जाएंगे।”
राज्य के योजना और सांख्यिकी मंत्री तापस रॉय ने कहा कि कई परिवारों को पहले ही प्रभावित मकानों से निकाला जा चुका है, लेकिन उनमें से कुछ ने अपने घरों को छोड़ने से इनकार कर दिया। कई लोगों ने दीवारें धंसने के डर से खुले में रात बिताई।
भाषा सुरेश उमा
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