होम देश भारत में बाढ़ के मामले में पटना सबसे संवेदनशील : नया अध्ययन

भारत में बाढ़ के मामले में पटना सबसे संवेदनशील : नया अध्ययन

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली और आईआईटी-रुड़की के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित जिला-स्तरीय बाढ़ गंभीरता सूचकांक (डीएफएसआई) के अनुसार, भारत में सबसे भीषण बाढ़ पटना में आती है, इसके बाद पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद और महाराष्ट्र का ठाणे है।

सूचकांक में प्रभावित लोगों की संख्या, बाढ़ की व्यापकता और इसकी अवधि के आधार पर बाढ़ की ऐतिहासिक गंभीरता को ध्यान में रखा गया है।

शोधकर्ताओं ने कहा जिन शीर्ष दस जिलों में बाढ़ की गंभीरता सबसे अधिक है उनमें पटना, मुर्शिदाबाद, ठाणे, उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल), गुंटूर (आंध्र प्रदेश), नागपुर (महाराष्ट्र), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), बलिया (उत्तर प्रदेश), पूर्वी चंपारण (बिहार), और पूर्वी मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इसके बाद मुजफ्फरनगर (बिहार), लखीमपुर (असम), कोटा (राजस्थान), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), मालदा (पश्चिम बंगाल), राजकोट (गुजरात), प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), औरंगाबाद (बिहार), बहराईच (उत्तर प्रदेश), अहमदाबाद (गुजरात), जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल), दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), डिब्रूगढ़ (असम), आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश), चमोली (उत्तराखंड), पश्चिम चंपारण (बिहार), अमरावती (महाराष्ट्र), मेदिनीपुर पश्चिम (पश्चिम) बंगाल), और समस्तीपुर (बिहार) हैं।

उत्तराखंड के चमोली में बार-बार बाढ़ नहीं आती, लेकिन कुछ अलग-अलग अत्यधिक विनाशकारी बाढ़ की घटनाओं के कारण चमोली को भी इस सूची में रखा गया है।

आईआईटी-दिल्ली के सहायक प्रोफेसर मनबेंद्र सहारिया समेत अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि बाढ़ के सबसे अधिक खतरे का सामना करने वाले 30 जिलों में से 17 गंगा बेसिन में और तीन ब्रह्मपुत्र बेसिन में हैं।

उन्होंने कहा कि सभी भारतीय नदी घाटियों में, गंगा बेसिन में सबसे अधिक आबादी है, और यहां बाढ़ की उच्च आशंका चिंताजनक है।

भारत में असम में सबसे अधिक बाढ़ आती है। राज्य ने पिछले 56 वर्षों में 800 से अधिक बाढ़ की घटनाओं का सामना किया है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत में जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद बेहतर प्रबंधन के कारण हाल के दिनों में बाढ़ के कारण मानव मृत्यु दर लगभग स्थिर है या इसमें कमी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 से प्रति वर्ष मौतों की संख्या लगभग 1,000 है।

भाषा जोहेब संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Exit mobile version