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भारत की प्रगति को कमजोर करने के प्रयासों को शुरु में ही रोकना होगा: न्यायमूर्ति दत्ता

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर संभव मोर्चे पर भारत की प्रगति को बदनाम करने, कमतर करने और कमजोर करने का समन्वित प्रयास किया जा रहा है और ऐसे किसी भी प्रयास को ‘शुरू में ही रोक देना’ होगा।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से डाले गए मतों का पूरी तरह मिलान ‘वोटर वेरिफिएबिल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) से करने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करने वाली शीर्ष अदालत की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ निहित स्वार्थी समूहों द्वारा राष्ट्र की उपलब्धियों को कमतर आंकने का प्रयास करने की प्रवृत्ति तेजी से विकसित हो रही है।

न्यायमूर्ति दत्ता ने पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की राय से सहमति जताते हुए एक अलग फैसले में अपने विचार लिखे और कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर ‘कागजी मतपत्र प्रणाली’ पर लौटने का सवाल नहीं उठता और न ही उठ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह ध्यान देने योग्य बात है कि हाल के वर्षों में, कुछ निहित स्वार्थी समूहों द्वारा एक प्रवृत्ति तेजी से विकसित हो रही है, जो राष्ट्र की उन उपलब्धियों को कमतर आंकने का प्रयास कर रहे हैं, जो देश के ईमानदार कार्यबल की कड़ी मेहनत और समर्पण के माध्यम से अर्जित की गई हैं।’’

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘इस महान देश की प्रगति को हर संभावित मोर्चे पर बदनाम करने, कमतर करने और कमजोर करने के समन्वित प्रयास होते दिख रहे हैं। इस तरह के किसी भी प्रयास को शुरू में ही रोक देना होगा।’’

उन्होंने कहा कि जब तक अदालतों को इस मामले में कुछ कहने का अधिकार है तब तक कोई भी संवैधानिक अदालत इस तरह के प्रयासों को सफल नहीं होने देगी।

पीठ एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की एक याचिका समेत कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘मुझे भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ वकील की इस दलील को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि पुराने जमाने की ‘कागज वाली मतपत्र प्रणाली’ पर लौटने की बात मतदाताओं के दिमाग में अनावश्यक संशय पैदा करके ईवीएम के माध्यम से मतदान की प्रणाली को बदनाम करने और चालू मतदान प्रक्रिया को बेपटरी करने की वास्तविक मंशा को उजागर करती है।’’

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में लोग केवल ईवीएम में सुधार या कोई और बेहतर प्रणाली की ही अपेक्षा रखेंगे।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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