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बिहार में फालसा और अंजन के पेड़ लुप्त होने की कगार पर

पटना, 10 मई (भाषा) बिहार में फालसा और अंजन के पेड़ विलुप्त होने की कगार पर हैं और राज्य सरकार ने इसका कारण जानने के लिए सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है।

बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष डी. के. शुक्ला ने कहा कि फालसा सबसे पहले गया में मिला था और वहां से बौद्ध विद्वान उसे वाराणसी और फिर दुनिया भर में ले गए। उन्होंने कहा कि फालसा का फल पकने पर बैंगनी रंग का होता है और इसका आकार एक से दो सेंटीमीटर तक है।

शुक्ला ने कहा कि यह फल विभिन्न प्रकार के विटामिन से भरा होता है और इसमें खनिज भी होते हैं तथा यह आसानी से पचने योग्य होता है।

कहा जाता है कि गर्मी के महीनों में इस फल और इसके रस का प्रभाव काफी ठंडा होता है।

शुक्ला ने कहा कि अंजन के पेड़ों की घटती संख्या भी गंभीर चिंता का विषय है।

अंजन का पेड़ झुकी हुई शाखाओं के साथ, 25-30 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। एक समय यह कैमूर जिले के जंगलों में बहुतायत में पाया जाता था।

बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश से इन दोनों पेड़ों के लुप्त होने के सही कारण का पता लगाने के लिए राज्यव्यापी सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान विशेषज्ञ अन्य लुप्तप्राय वृक्षों की भी सूची तैयार करेंगे।

इन दोनों पेड़ों के विलुप्त होने के संभावित कारणों के बारे में शुक्ला ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है कि वनों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण राज्य में कई पौधों को नुकसान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है और इन दो पेड़ों के लुप्त होने के कारणों का पता लगाने के लिए जल्द ही एक विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा।

भाषा

अविनाश उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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