नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक को शुक्रवार को जमानत देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने यह कहते हुए नवाब मलिक को जमानत देने से इनकार कर दिया कि जांच अभी शुरुआती दौर में है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह 15 मार्च के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
पीठ ने कहा कि हालांकि नवाब मलिक निचली अदालत में याचिका दायर कर कानून के तहत उपलब्ध उपाय का लाभ उठा सकते हैं।
नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मलिक को 1999 में हुई घटना के लिए 2022 में गिरफ्तार किया गया है।
सिब्बल ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोई मामला नहीं है क्योंकि कोई विधेय अपराध नहीं है।
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को धनशोधन के एक मामले में नवाब मलिक को अंतरिम जमानत देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि विशेष पीएमएलए अदालत का नवाब मलिक को हिरासत में भेजने का आदेश उनके पक्ष में नहीं है, इसका यह मतलब नहीं है कि पीएमएलए अदालत का आदेश अवैध या गलत है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राकांपा नेता नवाब मलिक को फरवरी में पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। जिसके बाद मलिक ने उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड के अवैध होने का दावा किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि नवाब मलिक के वकील ने पीएमएलए अदालत के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत किए थे और मंत्री की हिरासत के लिए ईडी के अनुरोध का जोरदार विरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इसके बावजूद विशेष अदालत ने नवाब मलिक को वैध कानूनी आधारों के तहत ईडी की हिरासत में और बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
ईडी ने मलिक को गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों से कथित रूप से जुड़े एक संपत्ति सौदे में गिरफ्तार किया था।
केंद्रीय एजेंसी ने नवाब मलिक पर मुंबई के कुर्ला इलाके में एक संपत्ति हड़पने के लिए कथित आपराधिक साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है, जिसका वर्तमान में बाजार मूल्य 300 करोड़ रुपये है और यह मुनीरा प्लंबर नामक एक महिला के अधिकार में है।
मलिक ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि उसने तीन दशक पहले एक वास्तविक लेनदेन में संपत्ति खरीदी थी, और मुनीरा ने अब उस लेनदेन के बारे में अपना विचार बदल लिया है।
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