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न्यायालय एलोपैथिक चिकित्सकों, आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति से जुड़े सवाल पर विचार करने को सहमत

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को इस जटिल सवाल पर विचार करने पर सहमत हो गया कि क्या सरकारी अस्पतालों और क्लीनिक में काम करने वाले आयुर्वेद चिकित्सकों और अन्य लोगों की तुलना में एलोपैथिक चिकित्सकों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग हो सकती है।

एलोपैथिक चिकित्सकों की कमी को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान सरकार ने 31 मार्च, 2016 से उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी, जिसके कारण सरकारी आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सकों के द्वारा याचिकाएं दायर की जाने लगी।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को आयुर्वेदिक चिकित्सकों की शिकायतों को स्वीकार करते हुए एक फैसला सुनाया था और कहा था कि यदि उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख 31 मार्च, 2016 के बाद आती है तो उन्हें 62 वर्ष की आयु तक सेवा में माना जाएगा।

उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘जो लोग 60 वर्ष की आयु होने पर सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन 62 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है, उन्हें तुरंत सेवा में बहाल किया जाए।’’

राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की और प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से आग्रह किया कि आदेश पर रोक लगा दी जाए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमें इसमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।’’

पीठ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान देने के बाद राज्य सरकार की अपील पर विचार करने के लिए सहमत हो गई।

पीठ ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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