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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएसआईएस से जुड़े यूएपीए के मामले में व्यक्ति को जमानत दी

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में एक कथित आईएसआईएस समर्थक को सोमवार को जमानत देते हुए कहा कि प्रतिबंधित संगठन के प्रति उसके ‘आकर्षण’ को आतंकवादी समूह के साथ उसका जुड़ाव नहीं कहा जा सकता है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 30 वर्षीय अम्मार अब्दुल रहमान एक ‘अत्यधिक कट्टरपंथी व्यक्ति’ है, जो आईएसआईएस विचारधारा में विश्वास करता था और अपने मोबाइल फोन में कुछ कथित आपत्तिजनक सामग्री डाउनलोड कर रहा था और उसे फोन में संग्रहीत कर रहा था, लेकिन इस तरह का कोई संकेत नहीं है कि उसने सामग्री को आगे प्रसारित करने का कोई प्रयास किया था।

अदालत ने कहा कि कोई भी जिज्ञासु व्यक्ति इंटरनेट पर ऐसी सामग्री को देख सकता है और उसे डाउनलोड कर सकता है, जो अपने आप में कोई अपराध नहीं है।

पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, जिहाद से जुडी सामग्री, आईएसआईएस के झंडे सहित आपत्तिजनक सामग्री मिली थी और वह कट्टरपंथी/मुस्लिम उपदेशकों के बयानों को भी सुन रहा था तो यह उसे ऐसे आतंकवादी संगठन का सदस्य बताने के लिए काफी नहीं है और वह उसकी विचारधारा को भी आगे नहीं बढ़ा रहा था।

पीठ में न्यायमूर्ति मनोज जैन भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि इस प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री, आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में, इंटरनेट पर उपलब्ध है और केवल इसे देखना और इसे डाउनलोड करना भी यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि उसने खुद को आईएसआईएस के साथ जोड़ा था।

राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने आरोप लगाया कि अगस्त 2021 में गिरफ्तार अपीलकर्ता ने जम्मू-कश्मीर में ‘हिजरत’ करने और भारत में आईएसआईएस की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आईएसआईएस सदस्यों के साथ आपराधिक साजिश रची थी।

भाषा नोमान शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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