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ज्ञानवापी मामला : न्यायालय ने वाराणसी में दीवानी अदालत से 20 मई तक सुनवाई आगे नहीं बढ़ाने को कहा

नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को वाराणसी की दीवानी अदालत से ज्ञानवापी मामले में आगे की सुनवाई तब तक नहीं करने को कहा, जब तक कि वह शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ को वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि दीवानी मामले में हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से पेश होने वाले मुख्य अधिवक्ता हरिशंकर जैन अस्वस्थ हैं। उन्हें बुधवार को एक अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम तदनुसार निचली अदालत को उपरोक्त व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने और पक्षकारों के बीच बनी सहमति के मद्देनजर मुकदमे में आगे की सुनवाई नहीं करने का निर्देश देते हैं।’

न्यायालय ने मामले को 20 मई को अपराह्न तीन बजे उसके समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और कहा कि रजिस्ट्री भारत के प्रधान न्यायाधीश से प्रशासनिक निर्देश ले सकती है ताकि पीठ गठित की जाए।

सुनवाई की शुरुआत में वकील विष्णु शंकर जैन ने मामले का उल्लेख किया तथा अदालत से शुक्रवार को प्रकरण पर सुनवाई करने का अनुरोध किया।

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि विभिन्न मस्जिदों को ‘‘सील’’ करने के लिए देशभर में कई अर्जियां दायर की गयी हैं और वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में ‘वजूखाना’ के पास एक दीवार को ‘‘ध्वस्त’’ करने के लिए अर्जी दाखिल की गयी है।

अहमदी ने कहा कि वह किसी वकील के स्वास्थ्य के आधार पर सुनवाई स्थगित किए जाने का विरोध नहीं कर सकते, लेकिन एक हलफनामा दिया जाना चाहिए कि हिंदू श्रद्धालु दीवानी अदालत में कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाएंगे।

उन्होंने कहा कि अगर आवश्यक है तो मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत आज ऐसा करने से परहेज कर सकती है, जब तक कि न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई नहीं कर ले।

वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे पीठ को आश्वस्त कर रहे हैं कि हिंदू पक्षकार वाराणसी में दीवानी अदालत के सामने सुनवाई आगे नहीं बढ़ाएंगे। पीठ ने दलीलों को दर्ज किया और दीवानी अदालत को मामले में शुक्रवार को तब तक आगे की सुनवाई नहीं करने को कहा, जब तक वह इस मामले में सुनवाई नहीं कर लेती। उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मूल वादी की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कार्यवाही का उल्लेख किया है।

शीर्ष अदालत ने 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था।

शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त आदेश दिया था और निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया था।

पीठ ने कहा था कि पक्षकारों के अधिकारों को संतुलित रखने की जरूरत है और अधिकारियों को निर्देश दिया था कि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नमाज अदा करने एवं अन्य धार्मिक रस्म निभाने में मुस्लिमों के अधिकारों में बाधा नहीं पड़े।

पीठ ने बुधवार को अपने आदेश में कहा था, ‘‘यह वादी के वकील के यहां रहने तक एक अंतरिम व्यवस्था है। हमें पक्षकारों के अधिकारों को संतुलित रखने की जरूरत है। वाराणसी के जिलाधिकारी उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करें जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई और इससे मुस्लिमों के नमाज अदा करने एवं अन्य धार्मिक रस्म निभाने में बाधा नहीं आए।’’

शीर्ष न्यायालय का आदेश तब आया था जब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि वादी के वकील हरिशंकर जैन को दिल का दौरा पड़ा है और वह वाराणसी में अस्पताल में भर्ती हैं।

भाषा

गोला दिलीप

दिलीप

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