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केवल अटकल के आधार पर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकते: न्यायमूर्ति दत्ता

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की प्रभावशीलता के बारे में याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं और अटकलों के आधार पर आम चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने और उसे प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकती।

न्यायमूर्ति दत्ता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से डाले गए मतों का ‘वोटर वेरिफिएबिल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) से पूरी तरह मिलान करने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करने वाली शीर्ष अदालत की पीठ में शामिल रहे।

न्यायमूर्ति दत्ता ने पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की राय से सहमति जताते हुए एक अलग फैसले में अपने विचार लिखे और कहा कि समय के साथ ईवीएम खरी उतरी हैं और मतदान प्रतिशत में वृद्धि इस बात को मानने का पर्याप्त कारण है कि मतदाताओं ने मौजूदा प्रणाली में विश्वास व्यक्त किया है।

उन्होंने कहा कि देश को पिछले 70 वर्ष से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने पर गर्व रहा है, जिसका श्रेय काफी हद तक ईसीआई (भारत निर्वाचन आयोग) और जनता द्वारा उस पर जताए गए विश्वास को दिया जा सकता है।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ना तो कभी यह दिखा पाए कि चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के सिद्धांत का कैसे उल्लंघन करता है और न ही डाले गए सभी वोट से वीवीपैट पर्चियों के शत प्रतिशत मिलान के अधिकार को साबित कर सके।

भाषा वैभव माधव

माधव

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