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कुपोषण से जंग के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित की सोयाबीन की गंधमुक्त किस्म

इंदौर, 24 मई (भाषा) सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, लेकिन इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकालते हुए सोयाबीन की अनचाही गंध से मुक्त किस्म विकसित करने में कामयाबी हासिल की है।

आईआईएसआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) डॉ. बी यू दुपारे ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना की इंदौर में हाल ही में संपन्न 52वीं वार्षिक समूह बैठक के दौरान सोयाबीन की उन्नत किस्म ‘‘एनआरसी 150’’ की खेती की सिफारिश की गई है।

उन्होंने बताया, ‘आईआईएसआर के वैज्ञानिकों के वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित यह किस्म सोयाबीन की प्राकृतिक गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज-2 एंजाइम से मुक्त है। यानी इससे बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी।’’

दुपारे ने बताया कि सोयाबीन की ‘‘एनआरसी 150’’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।

भाषा हर्ष मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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