नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय ने शनिवार को एक बयान में आरोप लगाया कि यहां आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और इसके शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त की वित्तीय शक्तियां अस्थायी रूप से बढ़ाने के एक प्रस्ताव को करीब सात महीने तक रोककर रखा।
बयान में कहा गया कि हालांकि, अदालतों को शिक्षा, स्वास्थ्य और कूड़ निपटारा जैसे नगर निकाय से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
एमसीडी के सदन में आप का बहुमत है। पार्टी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल चाहते हैं कि नगर निकाय की सारी शक्तियां आयुक्त को दे दी जाएं जो उनके अधीन काम करते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों को पुस्तकों की आपूर्ति नहीं किए जाने को लेकर आप सरकार को फटकार लगाई और कहा है कि गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से राष्ट्रीय हित पर राजनीतिक हित को तरजीह दी गई।
बयान के अनुसार, इस साल छह मार्च को उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने एक नियम का उपयोग करते हुए आयुक्त की बढ़ाई गई वित्तीय शक्तियों (मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने) से संबंधित फाइल को वापस ले लिया था, जो शहरी विकास विभाग के पास लंबित थी।
बयान में यह दावा किया गया कि यह फाइल शहरी विकास मंत्री के पास अक्टूबर 2023 से लंबित थी।
वहीं, आप ने एक बयान में कहा, ‘‘उपराज्यपाल को जवाब देना चाहिए कि एमसीडी आयुक्त जनवरी से लेकर आज तक नगर निकाय के सदन में पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का कोई प्रस्ताव क्यों नहीं लाए?’’
भाषा सुभाष नेत्रपाल
नेत्रपाल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.