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अदालत ने स्कूल नौकरी मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी में देरी पर क्षोभ जताया

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

कोलकाता, दो मई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 के स्कूल नौकरी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार पूर्व लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर निर्णय लेने में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव द्वारा किये गए विलंब पर बृहस्पतिवार को ‘क्षोभ’ जताया।

उच्च न्यायालय ने 23 अप्रैल को इस मामले में शीर्ष अधिकारी को 2 मई तक फैसला करने का निर्देश दिया था। दिन के दौरान, राज्य सरकार ने मंजूरी देने पर निर्णय लेने के लिए सात सप्ताह का समय मांगा।

अदालत ने इसे ‘जानबूझकर की गई देरी’ करार दिया और कहा कि मंजूरी देने वाला प्राधिकारी अभियोजन की मंजूरी पर निर्णय लेने में देरी करके ‘अभियोजन को फंसाकर नहीं रख सकता।’’

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि मुख्य सचिव को मंजूरी देने के मुद्दे पर बार-बार निर्देश देने के बावजूद देरी से उसे पीड़ा है। खंडपीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को पक्षों को सुनेगी और आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय लेगी।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य पूर्व लोक सेवकों के साथ अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की। चटर्जी हिरासत मे बंद आरोपियों में से एक हैं।

मुख्य सचिव ने राज्य के महाधिवक्ता के माध्यम से सीबीआई द्वारा मंजूरी के आवेदन पर निर्णय लेने के लिए सात सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया।

अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति लोक सेवक थे और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप है और आरोप पत्र दायर किया गया है, मंजूरी देने पर निर्णय लेना एक स्वत: प्रक्रिया है।

पीठ ने कहा कि अदालत को इस पर कठोर रुख अपनाने के लिए बाध्य किया जा रहा है।

महाधिवक्ता किशोर दत्त ने कहा कि इस अदालत को मंजूरी के सवाल पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि इस मामले में निर्णय लेने का मुद्दा आरोपी व्यक्तियों द्वारा जमानत याचिका है।

अदालत ने कहा कि उसके सामने मामला निश्चित रूप से यह है कि आरोपी व्यक्तियों को जमानत पर रिहा किया जाए या नहीं। अदालत ने कहा, ‘अगर यह हमारे सामने आता है कि एक विशेष एजेंसी आपराधिक न्याय की प्रक्रिया को क्षति पहुंचा रही है, तो क्या अदालत आंखें मूंद लेगी?’

नौ अप्रैल को भी पीठ ने मंजूरी देने में देरी पर नाराजगी जताई थी और मुख्य सचिव को 23 अप्रैल तक निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत के समक्ष कहा था कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

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