नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) देश में हिंदी और भाषायी विविधता पर छिड़ी बहस के बीच भारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने शनिवार को कहा कि विधिक प्रणाली के लिए अब अदालतों में स्थानीय भाषाओं को लागू करने का समय आ गया है।
यहां विज्ञान भवन में आयोजित मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि संवैधानिक अदालतों के समक्ष वकालत किसी व्यक्ति के कानून की जानकारी और समझ पर आधारित होनी चाहिए न कि भाषाई निपुणता पर।
उन्होंने कहा, “न्याय व्यवस्था और हमारे लोकतंत्र के अन्य सभी संस्थानों में देश की सामाजिक और भौगोलिक विविधता परिलक्षित होनी चाहिए। मुझे उच्च न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही में स्थानीय भाषाओं को शामिल करने के लिए कई अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस मांग पर फिर से विचार किया जाए और इसे तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाया जाए। संवैधानिक अदालतों के समक्ष वकालत किसी व्यक्ति के कानून की जानकारी और समझ पर आधारित होनी चाहिए न कि भाषाई निपुणता पर।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि पूरी दुनिया में भारत में सबसे बेहतर निशुल्क कानूनी सहायता सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।’’
भाषा यश देवेंद्र
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