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ZyCoV-D का रहस्य: बिहार आने के तीन महीने बाद भी नहीं लगाया गया है इस कोविड वैक्सीन का एक भी टीका

जाइडस लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित इस कोविड वैक्सीन को सितंबर 2021 में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था. केंद्र ने पिछले साल इसकी 1 करोड़ खुराक का क्रय आदेश दिया था और फरवरी में इसकी डिलीवरी शुरू हुई थी.

Zydus Cadila की Covid-19 वैक्सीन ZyCoV-D | फोटो: zyduscadila.com

नई दिल्ली: बिहार में ZyCoV-D की पहली खेप के पहुंचने के करीब तीन महीने बाद भी इस वैक्सीन को अभी तक कोविड -19 के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया गया है.

कोविन पोर्टल के डैशबोर्ड पर उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि भारत में चल रहे कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत फ़िलहाल चार टीके – कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक V और कोर्बीवैक्स – हीं इसका हिस्सा हैं.

केंद्र सरकार ने पिछले साल ZyCoV-D की 1 करोड़ खुराक की खरीद का आदेश दिया था, जिसकी डिलीवरी फरवरी में ही शुरू हो गई थी. इस वैक्सीन को पिछले साल सितंबर में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था.

दिसंबर 2021 में, केंद्र सरकार ने सात राज्यों – बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल – को उन जिलों की पहचान करने के लिए कहा था, जहां जाइडस लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित इस कोविड -19 वैक्सीन को लाभार्थियों को लगाया जा सकता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह वैक्सीन बिहार में करीब तीन महीने से उपलब्ध है लेकिन अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है. मैं यह नहीं बता सकता कि ऐसा क्यों है. हमने उनसे यह जरूर पूछा था कि वे इसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. किसी अन्य राज्य ने अभी तक इसे प्राप्त नहीं किया है.’

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बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य को ZyCoV-D के बारे में किसी तरह की कोई समस्या है, उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं आधिकारिक तौर पर इसका पता लगाऊंगा और फिर आपको बताऊंगा.’

हालांकि, इस समाचार के प्रकाशन के समय तक बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से संपर्क करने के प्रयास विफल रहे थे.

दिप्रिंट ने 22 अप्रैल को जाइडस लाइफसाइंसेज को उसकी तरफ से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया के लिए और इस बारे में प्रश्नों के साथ एक ईमेल किया था कि क्या बिहार के अलावा किसी अन्य राज्य ने ZyCoV-D की खुराक प्राप्त की है? इसके अलावा 23 अप्रैल को ट्विटर के माध्यम से भी इस फर्म से संपर्क किया गया. मगर इस समाचार के प्रकाशित होने तक उनकी भी कोई प्रतिक्रिया हमें नहीं मिली थी.

तीसरे चरण के परीक्षणों में 66.6% प्रभावकारिता

गुजरात स्थित जाइडस लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित, ZyCoV-D को दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन बताया जा रहा है. हालांकि, इस वैक्सीन की शेल्फ लाइफ (उपयोग में लाये जाने की अधिकतम सीमा) फ़िलहाल छह महीने है, समाचारों से यह संकेत मिलता है कि इसे बढ़ाकर नौ महीने करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.

जायडस लाइफसाइंसेज का ZyCoV-D अपनी तरह का पहला तीन खुराक वाला टीका है जिसे नीडल फ्री इंजेक्शन टेक्निक (एनएफआईटी) का उपयोग करके इंट्राडर्मली (त्वचा के नीचे लगाकर) रूप से लगाया जाता है. पहली खुराक के 28 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाती है और इसके बाद तीसरी खुराक पहली खुराक दिए जाने की तारीख के 56 दिनों बाद दी जाती है.

इस महीने कुछ समय पहले इस कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के परिणाम मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुए थे. यह परीक्षण एक ऐसे समय में आयोजित किया गया था जब सार्स -कोव -2 का डेल्टा संस्करण भारत में सर्वाधिक प्रचलित था. इसके निष्कर्षों ने ZyCoV-D की प्रभावकारिता को 66.6 प्रतिशत पर आंका था. देश भर में 50 से अधिक स्थानों पर किये गए इन परीक्षणों में पर 28,000 स्वस्थ एवं वयस्क लोगों ने स्वेच्छा से भाग लिया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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