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मुंबई में घट रहे हैं कोविड के मामले लेकिन ढिलाई न बरतें, ये लॉकडाउन के कारण हुआ है: एक्सपर्ट्स

पिछले चार दिन से मुंबई में 6,000 से कम कोविड के मामले दर्ज किए जा रहे हैं. सोमवार को इसकी सकारात्मकता दर भी घटकर 13.65% पर आ गई, जो 4-11 अप्रैल के बीच 20-30% थी.

23 अप्रैल को मुंबई में लगे धारा-144 के बाद सूनी सड़क | फोटो: एएनआई

मुंबई: मुंबई, जो कोविड-19 महामारी की चपेट में सबसे पहले आने वाले शहरों में से एक था, वहां कोविड के मामले लगातार घट रहे हैं.

जिस शहर में अप्रैल की शुरुआत में हर दिन 10,000 से 11,000 नए मामले दर्ज हो रहे थे और रोज़ाना की सकारात्मकता दर 20-30 प्रतिशत थी, वहां हर रोज़ नए मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है. पिछले तीन दिन में मुंबई में 6,000 से कम मामले दर्ज किए गए हैं और इसकी सकारात्मकता दर भी 14.6 प्रतिशत 13.75 प्रतिशत और 9.1 प्रतिशत रही है.

25 अप्रैल को मुंबई में कुल 75,740 एक्टिव मामले थे और कुल केस लोड 6,27,651 था. शहर में रविवार को 5,542 और शनिवार को 5,888 नए मामले दर्ज किए गए.

सोमवार को, इस महीने में पहली बार, नए मामलों की संख्या 4,000 से नीचे आ गई. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने 3,876 नए मामले दर्ज किए, हालांकि किए गए टेस्टों की संख्या भी सामान्य से कम थी.

लेकिन निगम अधिकारियों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतनी जल्द खुश होकर घोषित नहीं कर देना चाहिए कि शहर को मुसीबत से छुटकारा मिल गया है.

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शहर के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ, ओम श्रीवास्तव ने दिप्रिंट से कहा, ‘इसे कमी कहना थोड़ी जल्दबाजी हो सकती है. इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह लॉकडाउन है. हमें इंतज़ार करके देखना होगा कि अगले दो-तीन हफ्ते में क्या स्थिति रहती है’.


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लॉकडाउन कारगर लेकिन ‘इंतज़ार करो और देखो’ के अंदाज़ में है बीएमसी

महाराष्ट्र 5 अप्रैल से एक तरह के लॉकडाउन में चल रहा है. शुरू में राज्य सरकार ने लॉकडाउन को सिर्फ सप्ताहांत तक सीमित रखा था जबकि बाकी दिनों में कुछ बंदिशों के साथ आवाजाही की अनुमति थी.

14 अप्रैल से सरकार ने मुकम्मल लॉकडाउन का ऐलान कर दिया, जिसमें मुंबई के सार्वजनिक परिवहन खासकर इसकी लोकल ट्रेन्स को केवल आवश्यक सेवा कर्मियों के लिए सीमित कर दिया गया. बाद में राज्य सरकार ने इसे और कड़ा कर दिया, जब उसने किराने के सामान की खरीदारी को सिर्फ सुबह 7 से 11 बजे तक सीमित कर दिया.

महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल अध्यक्ष डॉ शिव कुमार उत्तुरे ने कहा, ‘किसी भी लॉकडाउन के दो पहलू होते हैं- मेडिकल और आर्थिक. मैं विशुद्ध चिकित्सकीय पहलू से कह रहा हूं कि ये महज़ एक संयोग नहीं हो सकता कि हमने लॉकडाउन घोषित किया जिसके बाद संख्या में कमी आ गई’.

कोविड मामलों की रोज़ाना वृद्धि के मामले में अप्रैल का पीक, पाबंदियां लागू करने के एक दिन पहले आया था. 4 अप्रैल को मुंबई में सिर्फ 36,900 टेस्टों में 11,163 नए कोविड पॉज़िटिव मामले दर्ज किए गए- जो कि 30 प्रतिशत की सकारात्मकता दर थी.

लेकिन, नए मामलों की संख्या में लगातार गिरावट तब शुरू हुई, जब निगम अधिकारियों और सिटी पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान आवाजाही पर कड़ाई करनी शुरू की. 19 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच सात दिनों में मुंबई में हर दिन औसतन 6,905 नए मामले दर्ज किए गए.

उत्तुरे ने भी लोगों को आगाह करते हुए कहा कि इस गिरावट को बरकरार रखने के लिए पाबंदियां हटाए जाने के बाद भी सख्ती के साथ एहतियाती उपायों का पालन करना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमें इंतज़ार करके देखना होगा कि लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद, क्या स्थिति रहती है. लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि लोग अब कम से कम ये समझ गए होंगे कि अगर वो मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के बेसिक प्रोटोकॉल्स का पालन नहीं करेंगे, तो ऐसे उपाय अनिवार्य हो जाएंगे’.

बीएमसी में डिप्टी एग्ज़ीक्यूटिव हेल्थ ऑफिसर, दक्षा शाह ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम फिलहाल इंतज़ार करो और देखो के अंदाज़ में हैं. इसके पीछे के कारण, वीकएंड और अब विस्तारित लॉकडाउन, तथा कड़े कंटेनमेंट ज़ोन्स और ज़्यादा मशक्कत भरी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग हो सकती है. सकारात्मकता दर ऊपर-नीचे होती रहती है लेकिन कुल मिलाकर रुझान ये है कि ये नीचे आ रही है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन बीएमसी दो-तीन हफ्ते इंतज़ार करना चाहेगी, उसके बाद ही इसे कोई रुझान कहा जा सकता है. हमें देखना होगा कि चीज़ें कैसी जा रही हैं, खासकर लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद’.


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जांच में कमी लेकिन सकारात्मकता दर भी गिरी

मामलों की संख्या में कमी के साथ ही, बीएमसी द्वारा की जा रही कोविड जांच की संख्या में भी कमी देखी गई है, जो 13 अप्रैल को 56,200 के पीक से घटकर करीब 40,000 प्रतिदिन पर आ गई.

लेकिन बीएमसी कुल टेस्टों में 60 प्रतिशत आरटी-पीसीआर जांच के अनुपात पर वापस आ गया है, जिसे कोविड जांच का अच्छा मानक माना जाता है, हालांकि इसके नतीजे आने में एक दिन तक का समय लग सकता है.

लॉकडाउन से पहले बीएमसी ने अपनी रैपिड एंटिजन टेस्टिंग को बढ़ाया था जिसमें मॉल्स, रेस्तरां और दूसरी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर लोगों की रैंडम टेस्टिंग की गई. इस महीने एक समय पर रैपिड एंटिजन टेस्ट- जिसकी 30 मिनट के अंदर रिपोर्ट आ जाती है लेकिन यह कम विश्वसनीय माना जाता है- बीएमसी की कुल टेस्टिंग का 50 प्रतिशत हुआ करता था.

लेकिन, इसमें बदलाव आ गया चूंकि लॉकडाउन ने लोगों को अंदर रहने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे रैपिड एंटिजन टेस्टों की संख्या में कमी आ गई.

इसके अलावा, सोमवार को टेस्ट सकारात्मकता दर 13.6 प्रतिशत थी, जब कुल 28,328 टेस्टों में से 3,876 पॉज़िटिव मामले दर्ज हुए.

उत्तुरे ने कहा, ‘निश्चित रूप से ये एक सकारात्मक झुकाव है कि मुंबई में सुधार हो रहा है. लेकिन चीज़ें नियंत्रण में हैं, ये हम तभी कह सकते हैं जब सकारात्मकता दर गिरकर पांच प्रतिशत से नीचे आ जाएगी’.

महामारी की पहली लहर में बीएमसी पांच प्रतिशत से नीचे की सकारात्मकता दर, सिर्फ दिसंबर में हासिल कर पाया था, जब शहर में पहले कोविड पॉज़िटिव मामले का पता चले नौ महीने हो चुके थे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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