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‘जन विश्वास विधेयक’, ‘ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट’ के प्रावधानों को कमजोर नहीं करता है: स्वास्थ्य मंत्रालय

सरकार का कहना है कि लोकसभा द्वारा पारित विधेयक का उद्देश्य छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करना और व्यापार को बढ़ावा देना है. इसमें औषधि अधिनियम की धारा 27डी को 'शमनयोग्य' बनाने के लिए संशोधन का प्रस्ताव है.

गुरुवार को लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया| प्रतीकात्मक तस्वीर | ANI

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि लोकसभा में जन विश्वास विधेयक, 2022 के पारित होने से ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 के प्रावधान को कोई हानि नहीं पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य छोटे अपराध को खत्म करना और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है.

शुक्रवार को एक बयान में, मंत्रालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 27 से पता चलता है कि मिलावटी या नकली दवाओं से मौत या गंभीर चोट लगने पर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, जबकि मिलावटी दवा, जिससे मौत या गंभीर चोट नहीं लगती है या जो बिना लाइसेंस के तैयार की जाती है, इससे अगर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव होता है तो पांच साल तक कैद हो सकती है.

इसके अलावा, अधिनियम में एक और प्रावधान है. अगर नकली दवाओं से किसी को कोई दुष्प्रभाव, (जिसमें मौत या गंभीर चोट शामिल ने हो) होता है तो उसे सात साल तक कैद हो सकती है. जबकि, अन्य सभी मामलों में (जैसा कि ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 की धारा 27 डी के तहत है) ऊपर दिए गए तीन श्रेणियों के अलावा दो साल तक की कैद हो सकती है.

गुरुवार को निचले सदन में ध्वनि मत से पारित, जन विश्वास विधेयक, 2022 में ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की धारा 27डी को “समझौते योग्य” बनाने का प्रस्ताव है – जिससे शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच अदालत के बाहर एक समझौते पर पहुंचने की गुंजाइश बन सके.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि धारा 27डी के तहत निर्धारित सजा को कम नहीं की गई है.

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इसमें कहा गया है, “अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो कारावास अभी भी एक वर्ष से कम नहीं है जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है. अपराध को ‘डिक्रिमिनलाइज़’ नहीं किया गया है लेकिन मुकदमेबाजी से बचने के लिए एक तंत्र की पेशकश की गई है”.

मंत्रालय ने बताया है कि कोई भी दवा, जो सुरक्षा मापदंडों में विफल रहती है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है या शारीरिक चोट या मृत्यु का कारण बन सकती है, जिसमें विषाक्त पदार्थ होते हैं, अस्वच्छ परिस्थितियों में बनाया गया हो, या बिना लाइसेंस के बनाया गया हो, प्रस्तावित संशोधन और वसीयत के तहत कवर नहीं की जाती है. इसमें कहा गया है कि किसी भी प्रकार के अपराध के लिए कठोर आपराधिक प्रावधान लागू रहेंगे.

बयान के अनुसार, यह संशोधन ऐसी किसी भी दवा पर लागू नहीं होगा जिसमें कोई ऐसा पदार्थ शामिल हो जो इसकी गुणवत्ता या शक्ति को कम करेगा. या फिर किसी अन्य दवा के नाम से बनाया गया हो, धोखा देने के इरादे से किसी अन्य दवा की नकल करने के लिए लेबल या पैकेजिंग किया गया हो और किसी भी प्रकार के नियम का उल्लंघन करता हो.

यह स्पष्टीकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दिनेश ठाकुर द्वारा विधेयक के प्रावधानों पर उठाई गई चिंताओं को लेकर दिया गया है. दिनेश ठाकुर ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा था कि प्रस्तावित कानून “उद्योग की लंबे समय से चली आ रही इच्छा को पूरा करता है कि यदि आपको घटिया दवा से शारीरिक नुकसान होता है, इसके लिए किसी को भी अपराधी या जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा.”

ठाकुर ने कहा कि विधेयक “फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 के उल्लंघन के लिए दी जाने वाली सजा के जगह पर लाया गया है, जिसमें दवा बनाने, तैयार करने, मिश्रण करने या गलत दवा बेचने वाले फार्मासिस्टों के लिए 1 लाख तक का जुर्माना और छह महीने की जेल का प्रावधान करता है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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