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ICMR ने मोलनुपिराविर को कोविड-19 के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में शामिल न करने का फैसला किया

भार्गव ने कहा था कि दवा लेने के बाद तीन महीने तक पुरुष और महिलाओं-दोनों को गर्भ निरोधक उपाय अपनाने चाहिए क्योंकि भ्रूण विकार संबंधी स्थिति के प्रभाव के बीच पैदा हुआ बच्चा समस्या से ग्रस्त हो सकता है.

दवाएं, प्रतीकात्मक तस्वीर | विकीमीडिया कॉमन्स

नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल ने एंटी-वायरल दवा मोलनुपिराविर को अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में शामिल नही करने का फैसला किया है.

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि कार्यबल के विशेषज्ञों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया और तर्क दिया कि कोविड के इलाज में मोलनुपिराविर ज्यादा फायदेमंद नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मोलनुपिराविर एक एंटी-वायरल दवा है जो सार्स-कोव-2 को विषाणु उत्परिवर्तन संबंधी प्रतिकृति बनाने से रोकती है. इस कोविड रोधी गोली को आपात स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए 28 दिसंबर को भारत के औषधि नियामक से मंजूरी मिल गई थी.

इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य इस दवा को राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में ज्यादा फायदा नहीं होता है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं.’

आईसीएमआर प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते कहा था कि मोलनुपिराविर से सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताएं जुड़ी हैं. उन्होंने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ब्रिटेन ने भी इसे उपचार में शामिल नहीं किया है.

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उन्होंने कहा था, ‘हमें यह याद रखना होगा कि इस दवा से प्रमुख सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं. यह भ्रूण विकार उत्पन्न कर सकती है और जेनेटिक बदलाव से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती है. यह मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.’

भार्गव ने कहा था कि दवा लेने के बाद तीन महीने तक पुरुष और महिलाओं-दोनों को गर्भ निरोधक उपाय अपनाने चाहिए क्योंकि भ्रूण विकार संबंधी स्थिति के प्रभाव के बीच पैदा हुआ बच्चा समस्या से ग्रस्त हो सकता है.


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