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हर्बल चाय अच्छी है लेकिन PCOS का समाधान नहीं है, इससे बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी

इंटरनेट गुरु, सोशल मीडिया ब्लॉगर्स और उभरते हुए फिटनेस उत्साही, PCOS को ठीक करने के हज़ारों त्वरित उपाय लेकर आ रहे हैं, जिनमें सप्लीमेंट्स, हर्बल चाय और काढ़ा आदि शामिल हैं. उनके झांसे में न आएं.

प्रतीकात्मक पिपरमिंट चाय/ विकीमीडिया कॉमंस

भारत में 3% से 22% वयस्क महिलाएं पॉलिसिस्टिक ओवरी सिण्ड्रोम या पीसीओएस (PCOS) से पीड़ित हैं और इसके लक्ष्यों से निपटने के समुचित समाधान से जूझ रही हैं. बहुत सी महिलाओं को तो पता भी नहीं है कि उन्हें पीसीओएस है. इस सिण्ड्रोम में बहुत सारे लक्षणों का मिश्रण होता है, जो ओविलेशन को प्रभावित करते हैं, ओवरी यानी अंडाशय में रसौली पैदा कर देते हैं, पुरुष हार्मोन्स ज़्यादा बनाते हैं, जैसे टेस्टोस्टेरोन, मुहांसे, बालों का तेज़ी से बढ़ना, वज़न बढ़ना, त्वचा पर काले धब्बे, और अनियमित मासिक धर्म. चिकित्सा विशेषज्ञ अभी तक पीसीओएस के कारणों से वाक़िफ नहीं हैं. लेकिन पाया गया है कि कुछ कारकों का समूह है- जिनेटिक प्रवृत्तियां, इंसुलिन प्रतिरोध, और दीर्घकालिक सूजन- जिसकी वजह से पीसीओएस शुरू होती है और बाद में ये और परेशानी बढ़ाती जाती है.

महिलाओं को अकसर शिकायत होती है कि PCOS से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर उन्हें अकसर भ्रामक जानकारी दी जाती है. इंटरनेट गुरु, सोशल मीडिया ब्लॉगर्स और उभरते हुए फिटनेस उत्साही, पीसीओएस को ठीक करने के हज़ारों त्वरित उपाय लेकर आ रहे हैं, जिनमें सप्लीमेंट्स, हर्बल चाय और काढ़ा आदि शामिल हैं. लेकिन इनमें ये अधिकतर उत्पाद सक्षम अथॉरिटीज़ द्वारा विनियामित नहीं हैं, और इनके कोई ठोस वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं. पीसीओएस के साथ जी रही महिलाएं इसके लक्षणों को ठीक करने के लिए, हर्बल चाय के अनगिनत कप पीने जैसे बहुत से तरीक़े अपनाकर, अपनी स्थिति और बिगाड़ सकती हैं.

मैं देख रही हूं कि भारत में हर्बल चाय को, स्वास्थ्य की सामान्य समस्याओं के समाधान के लिए, जिनमें मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ और पीसीओएस शामिल हैं, एकमात्र समाधान माना जाने लगा है. लेकिन पीसीओएस जैसी जटिल स्वास्थ्य समस्या के समाधान के रेडी रेकनर के तौर पर, उनके दावों की पुष्टि के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है.


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हर्बल चाय शांति देती है, समाधान नहीं

एक छोटी सी रिसर्च में सामने आया था, कि अतिरोमता या अधिक बाल बढ़ने जैसे पीसीओएस के सामान्य लक्षणों से निपटने में, हर्बल चाय से कुछ फायदा होता है. 2010 में पॉल ग्रांट ने एक बेतरतीब नियंत्रण परीक्षण (आरसीटी) किया, और पता लगाया कि 41 महिलाओं में, जिन्होंने दिन में दो बार पहाड़ी पुदीने की चाय पी थी, टेस्टोस्टेरोन स्तरों में काफी कमी आई थी. लेकिन अतिरोमता में कोई बदलाव नहीं था, और ग्रांट ने उल्लेख किया कि ये स्टडी उतनी लंबी नहीं थी, कि उससे कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जा सके.

वज़न घटाने, दोनों तरह की डायबिटीज़ से निपटने और अधिक कॉलिस्ट्रॉल को संभालने में ग्रीन टी की भूमिका अच्छे से दर्ज है. 2017 में 60 अधिक वज़न वाली महिलाओं में, जिन्होंने 12 हफ्ते तक ग्रीन टी ली थी, एक आरसीटी से वज़न में 5 प्रतिशत कमी, और इंसुलिन तथा टेस्टोस्टेरोन के स्तरों में गिरावट देखी गई. स्टडी में इसी तरह के रिसर्च डिज़ाइन्स की, दूसरी बहुत सी स्टडीज़ का हवाला दिया गया, जिनसे वज़न में कमी को बढ़ाने और इंसुलिन प्रतिरोध को संभालने में, ग्रीन टी के लाभकारी पहलू सामने आए थे.

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दुर्भाग्यवश, अकेली चाय पीसीओएस सिण्ड्रोम का कोई दीर्घ-कालिक समाधान नहीं हो सकतीं. इसके अलावा, पीसीओएस के उपचार में तरह तरह की हर्बल चाय को लेकर बढ़ी हुई धारणा, अतिश्योक्तिपूर्ण और भ्रामक है. पीसीओएस को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए, महिलाओं को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी. जिसमें, स्वस्थ आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, तनाव पर नियंत्रण और अच्छी नींद लेना शामिल हैं.

इंसुलिन प्रतिरोध के लिए लो-कार्ब डाइट

जिन महिलाओं में पीसीओएस होता है, उनमें दूसरों की अपेक्षा इंसुलिन अधिक बनता है, लेकिन ब्लड क्लूकोज़ लेवल्स को कम करने के लिए, वो इंसुलिन का कारगर ढंग से उपयोग नहीं कर पातीं. इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ और डिस्लिपिडेमिया का ख़तरा बढ़ जाता है.

इसके अलावा, अधिक इंसुलिन होने से पीसीओएस वाली महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन अधिक बनते हैं और इंसुलिन प्रतिरोध पैदा हो जाता है.

इंसुलिन प्रतिरोध से निपटने और निरंतर वजन घटाने के लिए, पीसीओएस ख़ुराक से बड़ी मात्रा में रिफाइण्ड कार्बोहइड्रेट्स और स्टार्च को निकालना ज़रूरी है, ख़ासकर उन महिलाओं के लिए, जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ऊंचा होता है. एक संतुलित आहार के तहत, हर खाने के साथ प्रोटीन को प्राथमिकता दें, और साथ ही उसमें नट्स और सीड्स जैसे स्वस्थ फैट्स भी शामिल कीजिए. इंसुलिन प्रतिरोध का नियंत्रण सही कार्बोहाइड्रेट्स के चयन से शुरू होता है. उच्च-फाइबर युक्त भोजन खाईए- पत्तेदार सब्ज़ियां (ब्रोकली, फूलगोभी) हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, बीन्स, दालें, कद्दू, लौकी, और विलायती कद्दू- ताकि ब्लड ग्लूकोज़ लेवल में अचानक उछाल से बचा जा सके. सूजन को रंगीन सब्ज़ियां और फल खाकर भी कम किया जा सकता है. अपनी पसंद के साबुत अनाज के तौर पर ओट्स, बाजरा, जौ और कीनुआ खाईए. बस ये ख़याल रखिए कि कार्बोहाइड्रेट का आपका कुल सेवन सामान्य से कम हो.

डब्बा बंद और अधिक प्रोसेस किए हुए जंक फूड से जितना हो सके परहेज़ कीजिए. अपने हिसाब से भोजन प्लान तैयार करने के लिए, किसी पोषण विशेषज्ञ से निजी परामर्श लेना बहुत ज़रूरी है. भोजन की इच्छा पर क़ाबू रखिए, इमोशनल ईटिंग से बचिए और ग़लत जानकारी से दूर रहिए. आपको इसे ठीक से करना है.

कसरत को आदत बनाएं

हफ्ते में कम से कम 150 मिनट कसरत करना ज़रूरी है. अगर आप दिनभर डेस्क पर काम करते हैं, तो एक पैदल ब्रेक लेकर अपनी गतिविधि बढ़ाईए. सीढ़ियां चढ़ना, अपने कुत्ते को टहलाना, खड़े होना और हर 30 मिनट के बाद अंगड़ाई लेना, कुछ सुविधाजनक तरीक़े हैं जिनसे आप हर दिन अपने क़दमों की संख्या बढ़ा सकती हैं. कसरत करने से इंसुलिन प्रतिरोध, दिल की बीमारियों का जोखिम कम करने, प्रजनन संबंधी जटिलताओं को कम करने, और सबसे अहम ये कि आपके मनोवैज्ञानिक स्वस्थ्य को सुधारने में, बहुत मदद मिलती है.

मुख्य बात

पीसीओएस लक्षण आपके मूड को प्रभावित करते हैं और आपके अंदर निराशा का अहसास पैदा करते हैं. इसके अलावा पीसीओएस में वज़न घटाना चुनौती भरा होता है, जिसमें तेज़ी से वज़न घटाने के लिए आक्रामक क़दम उठाने की बजाय, छोटे लेकिन निरंतर क़दम उठाने की ज़रूरत है. ख़ुद पर मेहरबानी कीजिए और सर्वश्रेष्ठ नियम हासिल करने के लिए सक्रिय क़दम उठाईए, जो आपकी जीवन शैली और स्वास्थ्य लक्ष्य के अनुरूप हों. एक संतुलित और साबुत भोजन पर आधारित ख़ुराक, पीसीओएस समेत किसी भी स्वास्थ्य समस्या को संभालने के लिए आवश्यक है. हर्बल टी या सप्लीमेंट्स जैसा कोई आहार अकेला इस समस्या को दूर नहीं कर सकता. अपने न्यूट्रीशन कोच के सुझावों के अनुसार, आप चाय को हमेशा अपने संतुलित आहार का हिस्सा बना सकते हैं.

(डॉ सुभाश्री रे एक डॉक्टोरल स्कॉलर (कीटोजिनेटिक डायट), एक प्रमाणित डायबिटीज़ शिक्षक, और क्लीनिकल पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशनिस्ट हैं. वो @DrSubhasree पर ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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