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NCISM ने कहा- भारतीय चिकित्सा प्रणाली के चिकित्सकों को ‘नीम हकीम’ मत कहिए, उनके भी अधिकार हैं

राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग कहता है कि पंजीकृत आईएसएम चिकित्सकों को बदनाम करना, उन कानूनों का उल्लंघन है जो डॉक्टरी करने के अधिकार की रक्षा करते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर | Pikrepo

नई दिल्ली: राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईसएम) ने कहा है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति (आईएसएम) के पंजीकृत चिकित्सकों को ‘नीम हकीम कहना’, उन कानूनों का उल्लंघन है जो डॉक्टरी करने के उनके अधिकार की रक्षा करते हैं.

17 फरवरी को लिखे एक पत्र में एनसीआईएसएम ने, जो आयुष मंत्रालय के अधीन है, ने कहा कि भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 की दूसरी अनुसूचि और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग अधिनियम, 2020 के अंतर्गत, पंजीकृत चिकित्सक ‘कानून के तहत वैध रूप से पंजीकृत चिकित्सक हैं. इसलिए उन्हें नीम हकीम या फर्ज़ी डॉक्टर कहने का सवाल ही पैदा नहीं होता’.

पत्र में आगे कहा गया है कि अगर लोग पंजीकृत चिकित्सकों को सार्वजनिक दस्तावेज़ों में या प्लेटफॉर्म्स (प्रेस विज्ञप्ति, एफआईआर और सोशल मीडिया) पर ‘नीम हकीम’ या ‘फर्ज़ी’ कहते हैं, तो ‘ये उपरोक्त कानूनों में वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन होगा और भारतीय चिकित्सा पद्धति के पंजीकृत चिकित्सकों के संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा’.

पत्र पर भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए नैतिकता और पंजीकरण बोर्ड के अध्यक्ष राकेश शर्मा के दस्तखत थे.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘नीम हकीम वो होता है जो एक पंजीकृत चिकित्सक नहीं होता. लेकिन एक लॉबी है जो पंजीकृत चिकित्सकों को नीम हकीम और फर्ज़ी कहती हैं. ये दंडनीय नहीं है लेकिन ये स्पष्ट किया जाता है कि जो चिकित्सक पंजीकृत हैं वो कानून का पालन कर रहे हैं. अगर उनके खिलाफ कोई केस दर्ज होता है, तो ये पत्र कानून की अदालत में उनकी रक्षा करेगा’.

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दिप्रिंट ने भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) के महासचिव डॉ जयेश लेले से उनकी टिप्पणी के लिए फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन इस खबर के छपने तक उनसे बात नहीं हो पाई थी.


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आईएसएम चिकित्सकों की शिकायतें

एनसीआईएसएम का पत्र आईएसएम चिकित्सकों की शिकायत के बाद आया है, जिन्होंने कहा कि वो ‘दुखी’ हैं कि उनके सहयोगियों को ‘नीम हकीम’ कहा जाता है.

महाराष्ट्र में वैद्यकीय विकास मंच के संयोजक आशुतोष गुप्ता ने एनसीआईएसएम को पत्र लिखकर कहा कि ‘प्रमाणिक’ आईएसएम चिकित्सकों को परेशान किया जा रहा है और फर्ज़ी डॉक्टर होने के बहाने से उन पर छापे मारे जा रहे हैं.

पत्र में कहा गया, ‘ये अपमान वास्तव में बहुत दुखद कहानियां हैं, जिनसे छुटकारा नहीं पा जा सकता और एसोसिएशन इन हरकतों पर कड़ी कार्रवाई का अनुरोध करता है, जो अपमानजनक हैं’. उसमें आगे कहा गया है कि ‘वैध चिकित्सकों को नीम हकीम कहे जाने के मुद्दे पर एक निर्देश’ जारी किए जाने की ज़रूरत है.


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‘पद्धति विज्ञान से वंचित है’

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े चिकित्सकों और अन्य विशेषज्ञों का कहना था कि इस पत्र का कोई ‘औचित्य नहीं’ था.

स्वास्थ्य अर्थशास्त्री रीजो जॉन ने ट्विटर पर कहा, ‘वाओ! एक ऐसी पद्धति पर चलते रहिए, जिसमें कोई विज्ञान या वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं हैं लेकिन उसे ऐसा कहिए मत’.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में स्कूल ऑफ फार्मेसी के एक प्रोफेसर, शोज़ेब हैदर ने कहा था कि भारत ‘सपेरों का देश है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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